CBI रिश्वत कांड: अंतरिम निदेशक बनते ही एक्शन में आए नागेश्वर राव, दर्जन भर से ज्यादा अफसरों का किया ट्रांसफर
नियुक्ति के तुरंत बाद उन्होंने कार्यभार संभालते ही निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के मामले से जुड़े ज्यादातर अधिकारियों को इस केस से हटाते हुए उनका ट्रांसफर कर दिया है
नई दिल्ली:
सीबीआई रिश्वत कांड मामले में अंतरिम निदेशक बनने के साथ ही आईपीएस नागेश्वर राव एक्शन में आ गए हैं। नियुक्ति के तुरंत बाद उन्होंने कार्यभार संभालते ही निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के मामले से जुड़े ज्यादातर अधिकारियों को इस केस से हटाते हुए उनका ट्रांसफर कर दिया है। अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने सीबीआई में डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा, डीआईजी तरुण गाबा, डीआईजी जसबीर सिंह, डीआईजी अनीश प्रसाद, डीआईजी केआर चौरसिया, एचओबी रामगोपाल और एसपी सतीश डागर का तबादला कर दिया है. ये सभी अधिकारी राकेश अस्थाना पर लगे आरोपों की जांच कर रहे थे। इसके अलावा सीबीआई के डिप्टी एसपी एके बस्सी का भी उन्होंने ट्रांसफर कर दिया है.
CBI DIG MAnish Kumar Sinha, DIG Taurn Gauba, DIG Jasbir Singh, DIG Anish Prasad, DIG KR Chaurasia, HoB Ram Gopal and SP Satish Dagar have been transferred. They were probing the case against CBI's Rakesh Asthana. pic.twitter.com/jOEkOMld9m
— ANI (@ANI) October 24, 2018
निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर सरकार ने कार्रवाई करते उन्हें छुट्टी पर भेज दिया है और उनकी जगह अब सीबीआई की कमान आईपीएस नागेश्वर राव को सौंप दी है. नागेश्वर राव पहले सीबीआई में ही संयुक्त निदेशक के पद पर काम कर रहे थे. नागेश्वर राव साल 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं.
सीबीआई के अंतरिम निदेशक बने नागेश्वर राव के लिए सबसे बड़ी चुनौती देश की सबसे बड़ी और विश्वसनीय जांच एजेंसी पर भ्रष्टाचार के लगें दागों को धोने का है. नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बनाने का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नियुक्ति कमेटी ने लिया है.
कौन सा है वह मामला जिसमें अस्थाना पर लगा है घूस लेने का आरोप
आपको बता दें कि सीबीआई कार्मिक मंत्रालय के अधीन आता है, जिसके प्रभारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं. हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग कारोबारी मोइन कुरैशी को क्लीन चिट देने में कथित घूस लेने के आरोपों पर सीबीआई ने अपने ही स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया था. इसके बाद राकेश अस्थाना ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा पर भी दो करोड़ रुपये घूस लेने का आरोप लगाया था.
इसके बाद अपनी गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए राकेश अस्थाना दिल्ली हाई कोर्ट पहुंच गए और अपने खिलाफ दायर किए गए एफआईआर को रद्द करने की मांग की. कोर्ट ने उन्हें फौरी राहत देते हुए यथा स्थिति बनाए रखने को कहा और सोमवार तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी.
इससे पहले मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने अपने डीएसपी देवेंद्र कुमार को निलंबित कर दिया था. डीएसपी देवेंद्र कुमार को सात दिनों के लिए CBI की हिरासत में भी भेजा गया. मांस कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ आरोपों की जांच के दौरान दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में देवेंद्र को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. CBI के एक अधिकारी ने कहा, "देवेंद्र कुमार को ड्यूटी से निलंबित कर दिया गया है.'
धन शोधन और भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों का सामना कर रहे कुरैशी के खिलाफ मामले की जांच कर रहे कुमार को दस्तावेजों से छेड़छाड़ करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. CBI ने रविवार को अपने विशेष निदेशक राकेश अस्थाना, कुमार और दो अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी. एक अदालत ने कुमार को सात दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है. CBI ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2017 और इस वर्ष अक्टूबर में कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई.
गुजरात काडर के भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी अस्थाना पर कुरैशी मामले में जांच का सामना कर रहे एक व्यापारी से जांच में राहत देने के लिए दो करोड़ रुपये रिश्वत लेने का आरोप है. इस मामले की जांच अस्थाना के नेतृत्व में गठित एक विशेष जांच दल (एसआईटी) कर रहा था.
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