सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के मौजूदा विवाद सर्वोच्च न्यायालय (supreme court) के हस्तक्षेप का शुक्रवार को स्वागत किया. सरकार ने कहा कि इससे जांच प्रक्रिया मजबूत होगी और सच्चाई को निष्पक्ष तरीके से बहुत जल्द बाहर लाने में मदद मिलेगी. केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने यहां कहा कि सर्वोच्च न्यायालय की ओर से दो हफ्तों की समयसीमा एक सकारात्मक पहल है और यह जांच के निष्पक्ष मानदंडों को मजबूत करेगा. सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति से निष्पक्ष जांच सुनिश्चित होगी.
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सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा के विरुद्ध लगे आरोपों की जांच की निगरानी के लिए पूर्व न्यायाधीश एके पटनायक को नियुक्त किया है. इसके साथ ही न्यायालय ने जांच पूरा करने के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) को दो हफ्तों को समय दिया है.
अदालत ने इसके साथ ही कार्यवाहक निदेशक एम नागेश्वर राव को नीतिगत या बड़े फैसले नहीं लेने को कहा है.
अदालत ने कहा कि राव के द्वारा लिए गए सभी निर्णयों की जानकारी भी 12 नवंबर तक सीलबंद लिफाफे में पेश किया जाए. न्यायालय ने कहा कि वह राव के निर्णय को बदल भी सकता है और बरकरार भी रख सकता है.
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जेटली ने कहा कि जांच एजेंसी के शीर्ष पद से वर्मा को हटाने के लिए सीवीसी के निर्देशों का उद्देश्य, और उन निर्देशों पर सरकार का आदेश निष्पक्ष जांच को सुनिश्चित करना है, क्योंकि वह रिश्वत के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के दो अतिरिक्त कदम पहला दो हफ्ते की समयसीमा और दूसरा जांच की निगरानी के लिए पटनायक की नियुक्ति उन उद्देश्यों को सुनिश्चित करेंगे और इससे मामले का जल्द निपटारा होगा, जिसे सरकार एक सकारात्मक कदम के तौर पर देखती है.
Source : News Nation Bureau