कावेरी विवाद पर 120 साल बाद आए सुप्रीम कोर्ट का फैसले को संभवत: कर्नाटक के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा।
फैसला आते ही राज्य विधानसभा में खुशी मनाई गई और विधानसभा में मुख्यमंत्री का स्वागत तालियों से किया गया। वहीं तमिलनाडु में इस फैसले से नाराज़गी है।
तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने फैसले में तमिलनाडु को मिलने वाले पानी में कटौती किये जाने पर आश्चर्य व्यक्त किया है।
अपने फैसले में कोर्ट ने तमिलनाडु को मिलने वाली पानी को कम कर दिया है। कोर्ट के फैसले के बाद अब तमिनाडु को अब 177.25 टीएमसी फीट (हजार मिलियन क्यूबिक फीट) पानी मिलेगी जबकि कर्नाटक को 14.75 टीएमसी फीट पानी अतिरिक्त मिलेगा।
कर्नाटक में आज राज्य का बजट भी पेश किया जाना है। सिद्धारमैया का यह 13वां बजट है, वह लगातार छठवीं बार राज्य का बजट पेश कर रहे हैं।
कोर्ट से फैसला आने के बाद कर्नाटक में जमकर खुशियां मनाई गई। कर्नाटक विधानसभा में बजट पेश होना है और बजट पेश किये जाने के पहले आए इस फैसले से विधायकों में खुशी की देखी गई और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सदन में घुसते ही तालियां बजाई गईं और एक दूसरे को बधाई भी दी गई।
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चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित बेंच ने सुनवाई की और जिसमें जस्टिस अमिताव रॉय और जस्टिस ए एम खानविलकर भी शामिल थे।
तमिलनाडु में इस फैसले को लेकर निराशा और नाराज़ी है। एआईएडीएमके के राज्यसभा सांसद ए नवनाथिकृष्णन ने मीडिया से बात करते हुए कहा, 'कावेरी पर फैसला एक नाकामयाबी है। हम फैसले का अध्ययन करेंगे और फिर आगे की कार्रवाई करेंगे।'
राज्य के प्रमुख विपक्षी दल डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राज्य सरकार को राज्य के हितों से समझौता करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि सरकार को सभी दलों की बैठक बुलानी चाहिये।
डीएमके के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री एस दुराईमुरुगन ने कहा, 'हमें झटका लगा है। राज्य की हिस्सेदारी में कटौती अन्याय है। एआईएडीएमके सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपनी केस को रखने में असफल रही है। कर्नाटक सरकार ने वरिष्ठ कानूनविदों को ट्राइब्यूनल और सुप्रीम कोर्ट में भेजा।'
तमिलनाडु कांग्रेस ईकाई ने इस फैसले पर कहा है कि इससे लोगों में नाराजगी बढ़ सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि फैसले से एक बात साफ हो गई है कि नदीं का पानी एक राष्ट्रीय संपत्ति है और इस पर किसी एक राज्य का अधिकार नहीं है।
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वहीं तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष तमिलसाई सुंदरराजन ने डीएमके और एआईएडीएमके की सरकारों पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा, 'हम इसका स्वागत नहीं कर रहे। इसमें खुशी की कोई बात नहीं है। कर्नाटक तमिलनाडु को लंबे समय से धोखा देता रहा है। कांग्रेस की कर्नाटक सरकार को फैसले के अनुसार पानी छोड़ना चाहिये। तमिलनाडु सरकार को राज्यों के अधिकार की रक्षा करनी चाहिये।'
जल विवाद को लेकर कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल ने कावेरी ट्रिब्यूनल के फैसले को साल 2007 में चुनौती दी थी। इस साल कर्नाटक में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में ये फैसला इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
हालांकि राज्य में चुनावों के मद्देनज़र राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ सकती है।
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Source : News Nation Bureau