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Cash For Query Case:( Photo Credit : News Nation)
Cash For Query Case: तृणमूल कांग्रेस पार्टी ( टीएमसी ) सांसद महुआ की लोकसभा सदस्यता को आज यानी शुक्रवार को रद्द कर दिया गया. मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में दोषी पाया गया है. लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने मोइत्री की सांसदी रद्द करने की सिफारिश की थी. एथिक्स कमेटी ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की तो मोइत्रा ने स्टडी के लिए 48 घंटे का समय मांगा, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनकी इस मांग को नामंजूर कर दिया. महुआ मोइत्रा को संसद में बोलने का मौका भी नहीं दिया गया. रिपोर्ट के आधार पर लोकसभा में मतदान किया गया, जिसमें ज्यादातर वोट महुआ मोइत्रा के खिलाफ पड़े. ऐसे में यह जानना जरूर है कि आखिर कैश फॉर क्वेरी यानी पैसे के बदले संसद में सवाल पूछने का यह मामला है क्या.
क्या है कैश फॉर क्वेरी मामला
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्टूबर को एक पत्र लिखा था. इस पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि तृणमूल कांग्रेस पार्टी की सासंद महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में हाल ही में 61 सवाल पूछे थे, जिनमें से 50 सवाल अडानी ग्रूप पर केंद्रित थे. बीजेपी सांसद ने आगे कहा कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बेदाग छवि को धूमिल करने और उनको असहज करने के लिए गौतम अडानी पर निशाना साधा और इस काम के लिए कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे लिए. हीरानंदानी ने एक हस्ताक्षरित हलफनामें में इस बात को स्वीकार भी किया है, जिसको नजरअंदान नहीं किया जा सकता. हालांकि महुआ मोइत्रा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
संसद में मोइत्रा के खिलाफ मतदान
दरअसल, कैश फॉर क्वेरी यानी पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने को लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा पर काफी हमलावर रहे.
लोकसभा स्पीकर को लिखे अपने पत्र में दुबे ने दावा किया था कि उन्हें वकील और महुआ के पूर्व मित्र अनंत का एक पत्र मिला है, जिसमें उन्होंने मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच सवाल पूछने के लिए रिश्वत के आदान-प्रदान के सबूत साझा किए हैं. महुआ मोइत्रा मामले में एथिक्स कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट को पिछले महीने 10 नवंबर को ही लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेज दिया था. पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में लोक सभा अध्यक्ष बिरला के निर्देश पर पूरे मामले की जांच कर एथिक्स कमेटी ने लगभग 500 पन्नो की अपनी रिपोर्ट तैयार की थी जिसे एथिक्स कमेटी की बैठक में 6-4 के अंतर से मंजूर कर लिया था.
Source : News Nation Bureau