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कार्टोसैट-3 कक्षा में स्थापित, भारत ने 310 विदेशी उपग्रह छोड़ने का रिकॉर्ड बनाया

इसके साथ ही भारत ने 300 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने का आंकड़ा पार कर लिया है.

Updated on: 27 Nov 2019, 03:30 PM

New Delhi:

भारत ने बुधवार को अपना पृथ्वी अवलोकन उपग्रह कार्टोसैट-3 तथा अमेरिका के 13 नैनो उपग्रहों को उनकी निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया. इसके साथ ही भारत ने 300 विदेशी उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने का आंकड़ा पार कर लिया है. अमेरिका के 13 सूक्ष्म उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित करने के साथ ही आज की तारीख तक भारत द्वारा छोड़े गए कुल विदेशी उपग्रहों की संख्या 310 हो गई है. इसबीच भारत का नया पृथ्वी अवलोकन उपग्रह कार्टोसैट-3 शहरी योजना, ग्रामीण संसाधन और ढांचागत विकास, तटीय भूमि के उपयोग और लैंड कवर तथा सामरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए भी अधिक स्पष्ट तस्वीरें भेजेगा.

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि वे विभिन्न एजेंसियों के लिए जरूरी तस्वीरें भेजेंगे. तस्वीर के उपयोग का निर्णय एजेंसी लेगी. उपग्रह द्वारा ली जाने वाली तस्वीरों का उपयोग निगरानी के उद्देश्यों के लिए भी किया जा सकता है. इसरो ने हालांकि इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया है.

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उपग्रह पेलोड्स में 0.25 मीटर ग्राउंड रिजोल्यूशन तक की तस्वीर पैंक्रोमेटिक में या 16 किलोमीटर के चार बैंड मल्टीस्पैक्ट्रल मोड्स में ग्राउंड सैंपल डिस्टेंस (जीएसडी) में लेने की क्षमता है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि काटरेसैट-3 में कई नई तकनीकों का उपयोग किया गया है. इनमें अधिक फुर्तीले स्ट्रक्चरल प्लेटफॉर्म, पेलोड प्लेटफॉर्म, डेटा हैंडलिंग और ट्रांसमिशन सिस्टम की उच्च दर, उन्नत ऑनबोर्ड कम्प्यूटर और नई पॉवर इलेक्ट्रॉनिक्स, ड्यूअल गिम्बल एंटीना और अन्य हैं.

इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने कहा, "यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि पीएलएलवी-सी47 ने कार्टोसैट-3 और 13 अमेरिकी उपग्रहों को उनकी कक्षाओं में स्थापित कर दिया है. कार्टोसैट-3 इसरो द्वारा अब तक बनाया गया भारत का उच्च रिजोल्यूशन का सिविलियन यान है." उन्होंने कहा कि इसरो ने इस वित्त वर्ष में 13 मिशनों की योजना बनाई है. इसके अंतर्गत मार्च 2020 से पहले छह लॉन्च व्हीकल मिशन और सात उपग्रह मिशन हैं.

लगभग 44.4 मीटर लंबा और लगभग 320 टन वजनी ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-एक्सएल (पीएसएलवी-एक्सएल) को सुबह लगभग 9.28 बजे एकतरफा अंतरिक्ष यात्रा के लिए छोड़ा गया. उड़ान के लगभग 17 मिनट बाद रॉकेट ने काटरेसैट-3 को 509 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित उसकी कक्षा में और 97.5 डिग्री झुकाव पर छोड़ दिया.

इसके तुरंत बाद अमेरिकी उपग्रहों में से पहला उपग्रह कक्षा में स्थापित कर दिया गया. अंतिम सूक्ष्म उपग्रह रॉकेट के प्रक्षेपित किए जाने के लगभग 27 मिनट बाद रॉकेट से अलग हो गया. इसरो के अनुसार, अमेरिका के 12 सूक्ष्म उपग्रहों के नाम फ्लोक-4पी है, और वे पृथ्वी अवलोकन उपग्रह हैं, जबकि 13वां उपग्रह मेशबेड एक कम्यूनिकेशन टेस्ट बेड उपग्रह है.

पीएसएलवी-एक्सएल वैकल्पिक रूप से ठोस और तरह ईंधन से लैस चार चरण के इंजन वाला एक्सपेंडेबल रॉकेट है. रॉकेट में छह स्ट्रैप-ऑन बूस्टर मोटर्स हैं, जो उड़ान के शुरुआती चरण में अतिरिक्त ताकत लगाते हैं.