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दिल्ली आ रहे कैप्टन अमरिंदर, अमित शाह से हो सकती है मुलाकात, अटकलें शुरू

कैप्टन अमरिंदर सिंह का सियासी भविष्य क्या है? पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर ने कहा कि मेरे पास कई विकल्प हैं. करीबियों से सलाह के बाद फैसला लूंगा. इसके बाद से ही अटकलों का दौर शुरू हो गया था.

Updated on: 28 Sep 2021, 12:42 PM

नई दिल्ली:

कैप्टन अमरिंदर सिंह का सियासी भविष्य क्या है? पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अमरिंदर ने कहा कि मेरे पास कई विकल्प हैं. करीबियों से सलाह के बाद फैसला लूंगा. इसके बाद से ही अटकलों का दौर शुरू हो गया था. अमरिंदर सिंह चंडीगढ़ से दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं. चर्चा है कि शाम को उनकी गृहमंत्री अमित शाह सहित कई बीजेपी नेताओं से मुलाकात होनी है. ऐसे में क्या वह बीजेपी ज्वाइन करने वाले हैं? इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई है. वैसे 2017 के असेंबली चुनावों से पहले नजरअंदाज किए जाने पर अमरिंदर ने कहा था कि वह तब बीजेपी में जाने की सोच रहे थे. 

दरअसल सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि तीन-तीन बार दिल्ली बुलाकर उनको अपमानित किया गया. उनकी बातों से साफ नजर आया कि वह आलाकमान से खासे नाराज हैं. उन्होंने यह भी इशारों-इशारों में जता दिया कि फिलहाल उनका रिटायरमेंट का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा कि वह अपने समर्थकों के साथ आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे. 

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हाल ही में एक टीवी डिबेट में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह से पूछा कि क्या आप भारतीय जनता पार्टी में शामिल होंगे तो इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मैं आपको कुछ नहीं बताऊंगा आपको, मैं पहले अपने सहयोगियों से बात करूंगा उसी के बाद इसपर फैसला लूंगा." उन्होंने कहा कि देश और पंजाब की जनता की सोच उनके बारे में उनकी पार्टी की सोच से अलग है, लोग उन्हें रोजाना देशभर से समर्थन के संदेश भेजते हैं. 

बीजेपी के साथ जाएंगे?
पिछले दिनों  कैप्टन जब दिल्ली गए थे तो उन्होंने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. पीएम मोदी से उनके व्यक्तिगत संबंध अच्छे बताए जाते हैं. बीजेपी उनकी तारीफ भी कर रही है. 3 मार्च 2018 को पीएम मोदी ने कहा था कि पंजाब में कांग्रेस अपने सीएम को अपना नहीं मानती है. किसान आंदोलन को लेकर पंजाब से ही चिंगारी भड़की थी. वर्तमान हालात में बीजेपी की स्थिति राज्य में काफी कमजोर बताई जा रही है. 27 साल तक गठबंधन के बाद अकाली दल के रास्ते इसी मुद्दे को लेकर बीजेपी से अलग हो गए थे. बीजेपी के पास राज्य में कोई बड़ा चेहरा दूर-दूर तक नजर नहीं आता है.