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फिर दिल्ली दौरे पर कैप्टन अमरिंदर, अमित शाह से मुलाकात को लेकर अटकलें तेज 

Punjab: कैप्टन अमरिंदर सिंह एक बार फिर दिल्ली दौरे पर हैं. राजनीतिक दल बनाने से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह की दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से आज सोमवार को मुलाकात की संभावना है.

Updated on: 18 Oct 2021, 10:54 AM

नई दिल्ली:

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कांग्रेस को छोड़कर अपनी राजनीतिक पारी कैसे आगे बढ़ाएंगे यह तो अभी साफ नहीं है लेकिन उनके लगातार हो रहे दिल्ली दौरे ने कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है. अमरिंदर एक बार फिर दिल्ली दौरे पर हैं. जानकारी के मुताबिक उनकी गृहमंत्री अमित शाह के साथ भी मुलाकात होनी है. इस मुलाकात में पंजाब की आंतरिक और बॉर्डर सुरक्षा को लेकर बातचीत हो सकती है. दरअसल पंजाब का बॉर्डर एरिया 50 किमी तक बीएसएफ (BSF) के अधीन होने के बाद अमरिंदर  पर कांग्रेस और विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि उन्होंने ही केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस कार्य को अंजाम दिया है.

शाह से तीसरी बार मुलाकात
कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद तीसरी बार अमित शाह से मुलाकात करेंगे. सूत्रों का कहना है कि पूर्व सीएम के दिल्ली दौरे को केंद्रीय कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों के आंदोलन का समाधान खोजने में बड़ी भूमिका को लेकर बात हो सकती है. कैप्टन इससे पहले पंजाब की आंतरिक सुरक्षा को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से भी मुलाकात कर चुके हैं. भले ही अमरिंदर यह कह चुके हो कि वह बीजेपी के साथ नहीं जाएंगे लेकिन गृहमंत्री अमित शाह के साथ उनकी लगातार हो रही मुलाकात ने कांग्रेस की बेचैनी बढ़ा दी है.  

कृषि कानूनों के बाद से बदली है भाजपा की स्थिति
पंजाब में तीन कृषि कानूनों का खासा असर पड़ा है. कृषि कानूनों के लागू होने के बाद पंजाब के किसान जत्थेबंदियों ने विरोध करना शुरू कर दिया. बाद में यह हरियाणा और फिर उत्तर प्रदेश में फैलता गया और पूरे देश में भाजपा की केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया. खासकर उत्तर भारत में जब पांच राज्यों में जल्द ही चुनाव होने हैं. पंजाब में 25 साल पुराना अकाली-भाजपा गठबंधन इन कृषि कानूनों के कारण टूट गया था. हाशिए पर पड़ी भाजपा के लिए फिलहाल कोई रास्ता नहीं है, ऐसे में भाजपा को कैप्टन अमरिंदर सिंह में उम्मीद की एक किरण नजर आ रही है. कैप्टन कांग्रेस में उनके खिलाफ चलाए गए अभियान से खुद को अपमानित महसूस कर रहे थे और आखिरकार उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.