राम मंदिर को लेकर बोली VHP, हिन्दू समाज अनंत काल तक कोर्ट के फैसले का नहीं कर सकता इंतजार, संसद में बने कानून
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राम मंदिर पर सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी. राम मंदिर को लेकर जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है, तब तक अध्यादेश लाने का कोई विचार नहीं है.
नई दिल्ली:
राम मंदिर को लेकर पीएम मोदी के बयान पर अब हंगामा शुरू हो गया है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने मोदी सरकार से मांग की है कि वो सीधे-सीधे अध्यादेश लाकर इस दिशा में काम आगे बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि पिछले 69 सालों से विभिन्न न्यायालयों में राम मंदिर से जुड़ा मामला चल रहा है. 2011 से इसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जारी है. 29 अक्टूबर 2018 को इस मामले की त्वरित सुनवाई की याचिका दी गई थी, लेकिन अभी तक इस मामले की सुनवाई के लिए बेंच का गठन तक नहीं हो पाया है. 4 जनवरी को इस मामले की सुनवाई होगी इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आ चुका है.
उन्होंने कहा, 'मैं यह बताना चाहता हूं कि, हिंदू समाज अनंत काल तक न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा नहीं कर सकता. संसद से कानून बनाया जाना चाहिए. 31 जनवरी और 1 फरवरी को प्रयागराज कुंभ के दौरान धर्म संसद होगी तब संत इस मामले पर अंतिम फैसला लेंगे.'
Vishva Hindu Parishad: Hindu society cannot be expected to wait till eternity for a court decision, only way forward is to enact a legislation clearing the way for the construction of a grand temple at the Ram janmbhoomi. pic.twitter.com/mCSEJ3vgm2
— ANI (@ANI) January 2, 2019
वहीं प्रधानमंत्री के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आलोक कुमार ने कहा, 'लोकतंत्र में लोग को अपने हक के बात कहने का अधिकार है. कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है मैं खुद वकील हूं और यह कह सकता हूं कि जब sc-st एक्ट में सर्वोच्च न्यायालय के संशोधन के समय रिव्यू पिटिशन के साथ साथ संसद कानून पास करवा सकता है, तो राम मंदिर के मामले में क्यों नहीं?
उन्होंने कहा, 'यह बात ठीक है कि संसद द्वारा पारित कानून की वैधता पर कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, लेकिन पहले कानून बने फिर वैधता की सुनवाई को भी देखा जाएगा. अधिकांश सांसद कानून बनाने के पक्ष में है करीब 350 सांसदों से हमारी बात हो चुकी है. वीएचपी के कार्यकर्ताओं ने अमेठी और रायबरेली के सांसदों से भी मिलने का वक्त मांगा है, लेकिन अभी तक हमारी सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात नहीं हो पाई है.' प्रधानमंत्री और काशी के सांसद से भी अभी तक मुलाकात नहीं हुई है. यह लड़ाई लोकतंत्र की लड़ाई है, लोकतंत्र में लोग हमारे साथ हैं. भले ही कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में सुनवाई को डिले करने की कोशिश की हो. कपिल सिब्बल ने सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि मामले की सुनवाई 2019 चुनाव के बाद होनी चाहिए, लेकिन हमें इस बात का डर है कि 4 जनवरी को भी इस मामले की नियमित सुनवाई नहीं हो पाएगी.'
उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार को 5 साल मिले हैं, मौजूदा मोदी सरकार को अपने कार्यकाल में ही मंदिर के निर्माण के लिए रास्ता साफ करना चाहिए. हम प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान का समर्थन करते हैं जिसमें उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर बनाने की बात कही, लेकिन अध्यादेश पर दिए उनके बयान से हम सहमत नहीं है. अध्यादेश अथवा कानून लाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का इंतजार नहीं करना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'मौजूदा शीतकालीन सत्र 8 जनवरी को समाप्त हो रहा है, लेकिन यह केंद्र सरकार का आखिरी सत्र नहीं है. इसके बाद फरवरी में बजट सत्र होगा. हम मानते हैं कि, अभी तक विश्व हिंदू परिषद अपने दबाव से इस मामले पर अध्यादेश या कानून नहीं ला पाई है, लेकिन हम सरकार और पीएम पर दबाव बनाए हुए हैं. हमारी मांग है कि राम मंदिर मामले पर सरकारी और अधिकृत बिल आए ,ना कि प्राइवेट मेंबर बिल.'
सरकार राम मंदिर पर अध्यादेश नहीं लाएगी: पीएम मोदी
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राम मंदिर पर सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी. राम मंदिर को लेकर जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है, तब तक अध्यादेश लाने का कोई विचार नहीं है. नए साल के पहले दिन एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में मोदी ने राम मंदिर के मुद्दे पर कहा, "राम मंदिर पर हमारी सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी. कानूनी प्रक्रिया के बाद ही राम मंदिर पर फैसला किया जाएगा. राम मंदिर को लेकर जब तक कानूनी प्रक्रिया चल रही है तब तक अध्यादेश लाने का विचार नहीं है."
एक वकील को जिम्मेदार ठहराने का प्रयास करते हुए उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया इसलिए धीमी है, क्योंकि वहां कांग्रेस के वकील हैं जो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में रुकावट पैदा कर रहे हैं.
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मोदी ने कहा, "हमने बीजेपी के घोषणापत्र में कह रखा है कि राम मंदिर का फैसला संविधान के दायरे में ही होगा. राम मंदिर बीजेपी के लिए भावनात्मक मुद्दा है. कांग्रेस को इस मुद्दे पर रोड़े नहीं अटकाने चाहिए और कानूनी प्रक्रिया को अपनी तरह से आगे बढ़ने देना चाहिए. हाल ही में राष्ट्रीय स्वयं सेवक जैसी संस्थाओं की तरफ से जल्द राम मंदिर बनवाने की मांग उठी हैं."
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