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जमीन अधिग्रहण और मुआवजा नहीं दे सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट

जमीन अधिग्रहण और मुआवजा नहीं दे सकते : इलाहाबाद हाईकोर्ट

Updated on: 04 Nov 2021, 12:05 PM

प्रयागराज:

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कहा है कि राज्य से लोगों की जमीन लेने और इसके लिए मुआवजा नहीं देने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।

कोर्ट ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के संबंधित विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है।

जीत नारायण यादव और दो अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए तीन दिसंबर की तारीख तय की।

तीनों याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि उनकी जमीन ले ली गई है लेकिन उन्हें कोई मुआवजा नहीं दिया गया है।

अदालत ने सबमिशन पर गंभीरता से ध्यान दिया और देखा कि वह नियमित रूप से ऐसे मामलों की सुनवाई करता है जहां या तो जमीन का अधिग्रहण किया जाता है और उस पर कब्जा कर लिया गया है, लेकिन कोई मुआवजा नहीं दिया गया है या ऐसे मामले जहां जमीन के अधिग्रहण के बिना और बिना नुकसान भरपाई भुगतान के कब्जा लिया गया है।

यह बताया गया कि अधिकांश भूमि राजस्व विभाग, लोक निर्माण विभाग या सिंचाई विभाग द्वारा अधिग्रहित की जाती है, जिसके बाद अदालत ने तीनों विभागों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों को इस अदालत में लंबित ऐसे मामलों की सूची तैयार करने का निर्देश दिया, जो उसमें उठाए गए मुद्दों के साथ तैयार किए गए थे।

उन्हें अदालत को यह बताने के लिए भी कहा गया है कि याचिकाकर्ताओं की शिकायतों को हल करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, क्योंकि राज्य से लोगों की जमीन लेने और इसके लिए मुआवजा नहीं देने की उम्मीद नहीं है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.