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जूनियर्स का स्टाइपेंड बढ़ाने की मांग को लेकर एम्स के डॉक्टरों का कैंडल मार्च

कोरोना वायरस के बीच पिछले 7 दिनों से मध्य प्रदेश के जूनियर डॉक्टर अपनी मांगो के लेकर हड़ताल पर हैं. इससे पहले गुरुवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को फटकार लगाई थी.

Updated on: 06 Jun 2021, 10:10 PM

नई दिल्ली:

 दिल्ली के एम्स अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने मध्यप्रदेश के डॉक्टरों के समर्थन में रविवार को कैंडल मार्च निकाला. इनके अलावा फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा) भी डॉक्टरों के समर्थन में उतरा और देर शाम कैंडल मार्च निकाल मध्यप्रदेश सरकार से डॉक्टरों की मांगें जल्द पूरी करने को कहा है. मध्यप्रदेश के जूनियर डॉक्टर स्टाइपेंड बढ़ाए जाने सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं. इससे स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित है और कोरोना के अलावा ब्लैक फंगस के मरीजों के उपचार में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं.

इसके अलावा, उच्च न्यायालय भी हड़ताल को अवैध करार देकर काम पर लौटने को कह चुका है, मगर जूडा ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया. इसके बाद गांधी चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता ने जूनियर डॉक्टर के इस्तीफे मंजूर करते हुए उन्हें छात्रावास खाली करने का नोटिस जारी किया है.

इस मसले पर दिल्ली एम्स रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अमनदीप सिंह ने आईएएनएस को बताया, मध्यप्रदेश में 3 हजार डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर 6 दिन से हड़ताल पर है. इन मांगों में पहली अस्पताल में सुरक्षा मुहैया कराना, दूसरी कोविड संक्रमण होने पर उन्हें और उनके परिवार को अस्पताल में तुरंत इलाज और अन्य सुविधाएं मिले और तीसरी तनख्वाह को लेकर है.

उन्होंने कहा, इन सबके बीच राज्य के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टरों की नहीं सुन रहे हैं. राज्य सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. इनकी मांगों को सरकार जल्द पूरी कर इस विवाद को खत्म करे, ताकि डॉक्टर महामारी में मरीजों का इलाज कर सकें.

राज्य में छह चिकित्सा महाविद्यालय हैं और तीन हजार जूनियर डॉक्टर हैं. इन जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने का स्वास्थ्य सेवाओं पर खासा असर पड़ रहा है, क्योंकि चिकित्सा महाविद्यालयों के अधीन आने वाले अस्पतालों का बड़ा जिम्मा इन्हीं जूनियर डॉक्टरों पर है.