कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बुधवार को सितंबर 2018 में उत्तर दिनाजपुर जिले में दो पूर्व स्कूली छात्रों की कथित हत्या की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा ने 20 सितंबर, 2018 को उत्तर दिनाजपुर जिले के दारिविट हाई स्कूल के पूर्व छात्र तापस बर्मन और रहेश सरकार की स्कूल परिसर में हत्या के मामले में जांच का आदेश दिया।
आदेश देते हुए न्यायमूर्ति मंथा ने कहा कि घटनाओं में बम, विस्फोटक और आग्नेयास्त्रों के इस्तेमाल की शिकायतें मिली थीं।
उन्होंने कहा कि चूंकि राज्य पुलिस का आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) अपनी जांच में पर्याप्त प्रगति नहीं कर पा रहा है, इसलिए जांच का प्रभार एनआईए को सौंपा जा रहा है।
गौरतलब है कि सितंबर 2018 में, दरिविट हाई स्कूल के छात्रों, उनके अभिभावकों और पूर्व छात्रों के एक समूह ने विज्ञान और गणित जैसे विषयों के लिए शिक्षकों की रिक्तियों की अनदेखी कर उर्दू और संस्कृत विषयों के शिक्षकों को नियुक्त करने के स्कूल अधिकारियों के फैसले का विरोध शुरू किया था।
आंदोलन का विरोध करने वालों ने प्रदर्शनकारियों के साथ संघर्ष किया। इस दौरान हुई गोलीबारी में स्कूल के दो पूर्व छात्र मारे गए थे।
न्यायमूर्ति मंथा ने बुधवार को कहा कि हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकार और बर्मन को गोलियों से मारा गया था, लेकिन सीआईडी के अधिकारी आग्नेयास्त्रों की प्रकृति की पहचान करने में असमर्थ हैं।
न्यायमूर्ति मंथा ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग (डब्ल्यूबीएचआरसी) की भूमिका पर भी नाराजगी व्यक्त की, जिसे मामले में समानांतर जांच का काम सौंपा गया था। उन्होंने कहा कि आयोग का निष्कर्ष सिर्फ जिला मजिस्ट्रेट और जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा दिए गए इनपुट पर आधारित था, जो यह साबित करता है कि आयोग इस मामले में निष्क्रिय रहा। उन्होंने राज्य सरकार को मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने का भी निर्देश दिया।
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Source : IANS