केंद्रीय कानून और न्याय मंत्रालय ने गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पांच अधिवक्ताओं की नियुक्ति के संबंध में अधिसूचना जारी की।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में फिलहाल देश भर में न्यायाधीशों की दूसरी सबसे बड़ी रिक्ति बनी हुई है और इस फैसले से खाली पड़ी पदों को लेकर बना बोझ कुछ हद तक कम होगा।
खाली पड़े पदों की बात की जाए तो इलाहाबाद उच्च न्यायालय 66 रिक्तियों के साथ सूची में सबसे ऊपर है, जबकि कलकत्ता में 41 न्यायाधीशों की रिक्ति बनी हुई है।
कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना में, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने वरिष्ठता के क्रम में केसांग डोमा भूटिया, रवींद्रनाथ सामंत, सुगातो मजूमदार, बिवास पटनायक और आनंद कुमार मुखर्जी को कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया।
अधिसूचना में कहा गया है कि सुगातो मजूमदार और बिवास पटनायक की कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति दो साल की अवधि के लिए होगी।
अधिसूचना में कहा गया है, हालांकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में केसांग डोमा भूटिया, रवींद्रनाथ सामंत और आनंद कुमार मुखर्जी की नियुक्ति की अवधि क्रमश: 4 मई, 2022, 23 जून, 2023 और 4 अगस्त, 2022 तक होगी, जिस तारीख से वे उनके कार्यालयों का प्रभार ग्रहण करेंगे।
कलकत्ता उच्च न्यायालय लंबे समय से न्यायाधीशों की कमी से जूझ रहा है। हाल ही में कानून और न्याय मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया था कि देश भर में कुल मिलाकर 453 रिक्तियां हैं। उच्च न्यायालय में 71 पदों की स्वीकृत शक्ति है लेकिन केवल 31 न्यायाधीश कार्यरत हैं। दूसरी ओर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 160 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है, जहां 94 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिससे 66 न्यायाधीशों की कमी बनी हुई है।
कलकत्ता उच्च न्यायालय में रिक्तियों में से 25 स्थायी न्यायाधीशों के लिए और 16 अतिरिक्त न्यायाधीशों के लिए हैं। दिलचस्प बात यह है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में 57.4 प्रतिशत की रिक्ति है जबकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 48.2 प्रतिशत की रिक्ति है। यहां तक कि बंबई उच्च न्यायालय, जिसमें 94 न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है, में 31 न्यायाधीशों की रिक्तियों की सूची है, दिल्ली उच्च न्यायालय में 30 न्यायाधीशों की, पंजाब और हरियाणा में 39 न्यायाधीशों की और पटना उच्च न्यायालय में 33 न्यायाधीशों की रिक्ति है। इतना ही नहीं, इस साल अप्रैल से कलकत्ता उच्च न्यायालय में कोई स्थायी मुख्य न्यायाधीश नहीं है।
एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, कलकत्ता उच्च न्यायालय की स्थिति सबसे खराब है। हालांकि अभी कई और रिक्तियां भरी जानी बाकी हैं, मगर वर्तमान नियुक्ति से कुछ राहत मिलेगी। न्यायाधीशों की भारी कमी है और स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण मामले महीनों से लंबित हैं। वहां कोई स्थायी मुख्य न्यायाधीश भी नहीं है। कलकत्ता उच्च न्यायालय देश की सबसे महत्वपूर्ण अदालतों में से एक है और इस तरह की स्थिति लंबे समय तक नहीं रह सकती है।
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Source : IANS