एनएचआरसी की ओर से तृणमूल नेताओं को गुंडा कहे जाने पर भड़के नेतागण, अदालती कार्रवाई की चेतावनी
एनएचआरसी की ओर से तृणमूल नेताओं को गुंडा कहे जाने पर भड़के नेतागण, अदालती कार्रवाई की चेतावनी
कोलकाता:
पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों, पार्षदों और नेताओं को कुख्यात अपराधी/गुंडे करार दिया था, जिस पर अब राजनीति गर्मा गई है।इस घटनाक्रम ने राज्य में एक राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है और अब कई नेताओं ने अधिकार निकाय एनएचआरसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी है।
नेताओं ने न केवल आयोग की अखंडता पर सवाल उठाया, बल्कि उस पर प्रतिशोधी रवैया दिखाने का भी आरोप लगाया है।
दरअसल एनएचआरसी ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा पर अपनी रिपोर्ट कलकत्ता हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करते हुए पीड़ितों के प्रति ममता सरकार द्वारा उदासीनता बरतने का आरोप लगाया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में हिंसक घटनाओं में पीड़ितों की दुर्दशा के प्रति राज्य सरकार की भयावह उदासीनता है और प्रदेश में कानून का शासन नहीं चलता, बल्कि शासक का कानून चलता है।
अदालत को सौंपी गई 50 पन्नों की रिपोर्ट में एनएचआरसी ने कहा कि यह मुख्य विपक्षी दल के समर्थकों के खिलाफ सत्ताधारी पार्टी के समर्थकों द्वारा की गई प्रतिशोधात्मक हिंसा थी। इसके परिणामस्वरूप हजारों लोगों के जीवन और आजीविका में बाधा उत्पन्न की गई और उनका आर्थिक रूप से गला घोंट दिया गया। इस रिपोर्ट में स्थानीय पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए गए हैं।
इसमें कहा गया है, कई विस्थापित व्यक्ति अभी तक अपने घरों को वापस नहीं लौट पाए हैं और अपने सामान्य जीवन और आजीविका को फिर से शुरू नहीं कर पाए हैं। कई यौन अपराध हुए हैं, लेकिन पीड़ित बोलने से डरते हैं। पीड़ितों के बीच राज्य प्रशासन में विश्वास की कमी बहुत स्पष्ट दिखाई देती है।
हालांकि बनर्जी तो पहले ही आयोग की ईमानदारी पर सवाल उठा चुकी हैं और आरोप लगा चुकी हैं कि तृणमूल कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए जानबूझकर रिपोर्ट को मीडिया में लीक किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा था, यह राजनीतिक प्रतिशोध है। वे (भाजपा) हार स्वीकार नहीं कर सकते और इसलिए वे इन सभी चीजों का सहारा ले रहे हैं। मामला अदालत में लंबित है, तो यह मीडिया तक कैसे पहुंच सकता है।
इस बीच, एनएचआरसी ने मीडिया में रिपोर्ट लीक होने के आरोपों का खंडन किया है।
एनएचआरसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, एनएचआरसी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के दिनांक 15 जुलाई के निर्देशों के अनुसार इस मामले में संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ उक्त रिपोर्ट की प्रति पहले ही साझा कर दी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के निदेशरें के अनुसार पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा की जांच के लिए एक समिति का गठन किया। समिति ने 13 जुलाई, 2021 को अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंपी है।
अधिकार निकाय ने कहा, अदालत के आगे के निदेशरें पर, समिति ने उक्त रिपोर्ट की एक प्रति कोलकाता में इसके अधिवक्ता को प्रदान की, जिन्होंने इसे संबंधित कई रिट याचिकाओं में सभी संबंधित पक्षों के अधिवक्ताओं के साथ साझा किया। मामला विचाराधीन होने के कारण, एनएचआरसी की समिति ने अदालत द्वारा निर्दिष्ट के अलावा किसी अन्य संस्था को अपनी रिपोर्ट साझा नहीं की। चूंकि अदालत के निर्देशों के अनुसार सभी संबंधित पक्षों के पास रिपोर्ट पहले से ही उपलब्ध है, इसलिए एनएचआरसी के स्तर पर लीक का कोई सवाल ही नहीं है।
हालांकि, तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने इस रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
राज्य मंत्री ज्योतिप्रिया मुल्लिक ने कहा, मैं स्तब्ध हूं। मेरा मानना है कि रिपोर्ट मनगढ़ंत है और हमारी पार्टी की छवि खराब करने का एक जानबूझकर प्रयास है। मुझे नहीं पता कि एनएचआरसी ने मेरे खिलाफ ऐसी जानकारी क्यों और कहां से एकत्र की। मेरे खिलाफ पूरे बंगाल के किसी भी पुलिस स्टेशन में कोई शिकायत या प्राथमिकी दर्ज नहीं है। मैं पेशे से वकील हूं और पश्चिम बंगाल बार काउंसिल का अध्यक्ष हूं। मैं अपनी पार्टी के निर्देश के बाद इसके (एनएचआरसी) के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करना चाहूंगा।
नंदीग्राम में भूमि अधिकार आंदोलन के दिग्गज नेता शेख सूफियान ने कहा कि रिपोर्ट एक बड़ी साजिश का हिस्सा है।
उन्होंने कहा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य केवल भाजपा से संबंधित चुनाव के बाद की हिंसा के कथित पीड़ितों के घरों का दौरा करते थे। हमारा एक प्रमुख कार्यकर्ता चुनाव के दिन मारा गया था, लेकिन समिति के सदस्य कभी उसके घर नहीं गए। इससे पता चलता है कि वे कितने पक्षपाती हैं। मेरा नाम यहां सिर्फ इसलिए सूचीबद्ध किया गया है, क्योंकि मैंने मुख्यमंत्री के चुनावी एजेंट की भूमिका निभाई। हम इसे अदालत में लड़ेंगे।
तृणमूल विधायक सोकत मोल्ला भी इस घटनाक्रम से हैरान नजर आए।
उन्होंने कहा, मेरे 25 साल के राजनीतिक करियर में, मेरे खिलाफ एक भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं किया गया है। लेकिन आज एक कुख्यात अपराधी और गुंडे के रूप में मेरा नाम सूचीबद्ध है। मुझे आश्चर्य है कि उन्होंने डेटा कहां से एकत्र किया और किस आधार पर उन्होंने मुझे कुख्यात टैग के साथ लेबल किया।
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