कलकत्ता हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि पिछले साल नवंबर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लुक का जिक्र करते हुए उनके नेतृत्व वाली कैबिनेट के एक सदस्य द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों पर दायर जनहित याचिका में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पक्षकार नहीं बनाया जा सकता।
इस मामले में जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद, कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति राजर्षि भारद्वाज की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि पश्चिम बंगाल के सुधारात्मक सेवा विभाग के प्रभारी मंत्री अखिल गिरि द्वारा की गई अपमानजनक टिप्पणियों का दोष मुख्यमंत्री पर नहीं लगाया जा सकता।
खंडपीठ ने कहा, मुख्यमंत्री का इस मामले से कोई संबंध नहीं है। इस मामले में पक्षकार बनाने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए, मामले में एक पक्ष के रूप में उनका नाम हटा दिया जाए।
पिछले साल नवंबर में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें अखिल गिरी को राष्ट्रपति के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते सुना गया था। वीडियो में गिरी को यह कहते हुए सुना गया, हम लोगों को उनके रूप से नहीं आंकते। हम भारतीय राष्ट्रपति की कुर्सी का सम्मान करते हैं। लेकिन मेरा सवाल है कि आपकी राष्ट्रपति कैसी दिखती है?
इस मामले को लेकर सभी विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और गिरि के खिलाफ तीखा हमला किया, जिनमें से कुछ ने राज्य मंत्रिमंडल से उनके निष्कासन की मांग की।
गिरि को अपनी ही पार्टी के नेताओं और राज्य मंत्रिमंडल में साथी सदस्यों, विशेषकर आदिवासी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों के क्रोध का भी सामना करना पड़ा।
समाज के विभिन्न तबकों से बड़े पैमाने पर आलोचनाओं का सामना करने और वीडियो वायरल होने के लगभग एक हफ्ते बाद मुख्यमंत्री ने आखिरकार इस मामले पर अपनी बात रखी और गिरि की ओर से माफी मांगी। मुख्यमंत्री ने कहा, राष्ट्रपति एक खूबसूरत महिला हैं। मैं उनके खिलाफ इस तरह की टिप्पणियों की निंदा करती हूं। मैं पार्टी विधायक की ओर से माफी मांगती हूं।
इसके तुरंत बाद, गिरि ने अपनी टिप्पणियों के लिए बिना शर्त माफी मांगी। उसी महीने, कलकत्ता हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री को एक पक्षकार बनाने के मामले में जनहित याचिका दायर की गई थी। लेकिन सोमवार को डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका में मुख्यमंत्री का नाम हटाने के लिए कहा।
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Source : IANS