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कैट ने मोदी सरकार को पत्र लिख चीन की इन कंपनियों पर रोक लगाने की मांग की

केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध के बाद आज कैट ने सरकार को एक पत्र भेजकर फिर चीनी कंपनियों को भारत में लागू होने वाले 5जी नेटवर्क में किसी भी रूप में उनकी भागीदारी को प्रतिबंधित करने की अपनी मांग दोहराई है.

Updated on: 03 Sep 2020, 04:46 PM

नई दिल्‍ली:

केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को 118 चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध के बाद आज कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केडंरिया संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद एवं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर एक बार फिर चीनी कंपनियों हुवावे और जेडटीई कॉर्पोरेशन को भारत में लागू होने वाले 5जी नेटवर्क में किसी भी रूप में उनकी भागीदारी को प्रतिबंधित करने की अपनी मांग दोहराई है. इन कंपनियों की तकनीक से भारत का डाटा चीन या किसी अन्य राष्ट्र कोअवैध रूप से निर्यात किया जा सकता है. इस वजह से इन दोनों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक है.

कैट ने आग्रह किया है कि इसके लिए सरकार द्वारा 23 जुलाई 2020 को सरकार द्वारा निवेश नियम में किए गए बदलाव के तहत हुआवे और जेडटीई के गियर के उपयोग को रोकने के लिए आदेश जारी किया जा सकता है. इस निवेश नियम के तहत सरकार को अधिकार है कि वो देश की सीमा से लगे किसी भी राष्ट्र की कंपनियों अथवा लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों की वजह से भारत में निवेश करने से प्रतिबंधित कर सकता है.

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि 5जी नेटवर्क आधुनिकतम मोबाइल नेटवर्क है, जिसमें सुपर फास्ट डाउनलोड गति होती है और साथ ही महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को भी संचार की दृष्टि से मजबूत करने की क्षमता होती है.

टेक कंपनियों में निवेश और साइबर हमले नए संचार उपकरण हैं, जो यह तो संचार प्रणाली को नष्ट कर सकते हैं या फिर उन पर कब्जा कर सकते हैं. यह एक खुला तथ्य है कि कई चीनी कंपनियों ने भारत की अनेक टेक कंपनियों में पर्याप्त निवेश किया है और दुनियाभर में चीन अपनी तकनीक के माध्यम से जासूसी करने के लिए जाना जाता है, इसलिए हुआवे और जेडटीई कॉर्पोरेशन पर प्रतिबंध की आवश्यकता है.

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि यह पता चला है कि एयरटेल के नेटवर्क का लगभग 30 प्रतिशत और वोडाफोन के नेटवर्क का 40 प्रतिशत वर्तमान में हुआवे तकनीक के माध्यम से चल रहा है, जिसके चलते कैट ने सरकार से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि इस तरह की तकनीक का कहीं दुरुपयोग तो नहीं किया जा रहा.

भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि 5जी तकनीक प्रौद्योगिकी संचार प्रणाली में एक दूरसंचार क्रांति लाएगी, लेकिन इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि डिजिटल दुनिया की कमजोरियां देश की संप्रभुता पर प्रतिकूल प्रभाव न डालें.

उन्होंने कहा कि 5जी तकनीक में रिमोट एक्सेस और डेटा स्टोरेज दो महत्वपूर्ण तत्व हैं. चीन के कुत्सित इरादों का अंदाजा इस बात से आसानी से लगाया जा सकता है कि 2017 में चीन ने चाइना इंटेलिजेंस लॉ लागू किया, जिसमें हर चीनी सप्लायर के लिए जरूरी है कि वह दुनिया में कहीं भी स्थापित किए गए डेटा और अपने उपकरणों की साड़ी जानकारी चीनी सरकार को मुहैया कराए. इस कानून का उद्देश्य चीन को अपनी खुफिया और सैन्य गतिविधियों के लिए अपने नागरिकों और कंपनियों की सहायता से दुनियाभर का डाटा प्राप्त करने का कानूनी आधार प्रदान करना है.

भारत में इंटरनेट दुनिया पर जहां लगभग 45 करोड़ हैंडसेट हैं, तो वहीं लगभग 50 करोड़ से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं. 5G को भारत के लिए गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है. भारत में औसत उपयोग प्रति व्यक्ति डेटा प्रति माह 9.8 जीबी है. अगर वर्तमान विकास अनुमानों को ध्यान में रखा जाए तो 5जी में 2035 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का आर्थिक प्रभाव पैदा करने की क्षमता है.

यह एक ज्ञात तथ्य है कि चीन ने हाल के वर्षों में साइबर अटैक को अपने शस्त्रागार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है और अब किसी को भी चीनी इरादों पर शक नहीं है. लिहाजा हुवावे और जेड टी ई कारपोरेशन पर प्रतिबंध लगाना समय की आवश्यकता है.