CAG रिपोर्ट में खुलासा, स्वास्थ्य सेक्टर बेहाल, राज्यों ने नहीं खर्च किये आवंटित पैसे
सीएजी ने कहा, '27 राज्यों में खर्च न हो पाई धनराशि 2011-12 में 7,375 करोड़ रुपये से बढ़कर 2015-16 में 9,509 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।'
नई दिल्ली:
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य योजना (एनआरएचएम) के क्रियान्वयन में वित्तीय कुप्रबंधन, चिकित्सकों और सहायक चिकित्सकों की कमी और स्वास्थ्य केंद्रों पर जरूरी दवाओं की अनुपलब्धता सहित ढेरों खामियां उजागर हुई हैं।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, 24 राज्यों में अतिआवश्यक दवाएं नहीं है।
शुक्रवार को संसद में पेश की गई एनआरएचएम के तहत प्रजनन और बाल स्वास्थ्य पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट में सीएजी ने कहा कि योजना का वित्तीय प्रबंधन 'संतुष्टिप्रद' नहीं पाया गया और राज्य स्वास्थ्य सोसाइटियों को आवंटित धनराशि का बड़ा हिस्सा हर साल के आखिर तक खर्च ही नहीं किया गया।
सीएजी ने कहा, '27 राज्यों में खर्च न हो पाई धनराशि 2011-12 में 7,375 करोड़ रुपये से बढ़कर 2015-16 में 9,509 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।'
सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्यों ने एनआरएचएम योजना के लिए आवंटित राशि को दूसरी योजनाओं पर खर्च किया।
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में आवंटित राशि के प्रबंधन को पुनर्गठित करने, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आवंटित धनराशि के खर्च पर निगरानी रखने और खर्च न हो सकी धनराशि पर मिली ब्याज राशि का ब्योरा रखे जाने की सिफारिश की है।
सीएजी द्वारा 2011-12 से 2015-16 के बीच तुलनात्मक तौर पर किए गए परफॉर्मेस ऑडिट में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और स्वास्थ्य उप-केंद्रों को लेकर भी कई खामियां उजागर हुई हैं।
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रिपोर्ट में कहा गया है, 'चिकित्सकों तथा उपकरणों का संचालन करने के लिए प्रशिक्षित व्यक्तियों की कमी और उपकरणों को स्थापित करने के लिए जगह की कमी के चलते 17 राज्यों में 30.39 करोड़ रुपये के 428 चिकित्सा उपकरण निष्क्रिय पड़े हुए हैं।'
रिपोर्ट में कहा गया है, 'जांच के लिए चयनित करीब-करीब हर स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सकों और सहायक चिकित्सकों की कमी पाई गई, जिसके चलते वहां मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा प्रदान करने में समझौता किया जा रहा है। 27 राज्यों के चयनित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर औसतन पांच तरह के चिकित्सा विशेषज्ञों की कमी पाई गई, जिनमें जनरल सर्जन, जनरल फिजीशियन, रोग विशेषज्ञ/दाई, बाल रोग विशेषज्ञ और निश्चेतक विशेषज्ञ शामिल हैं।'
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 24 राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों के चयनित 236 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में सिर्फ 1,303 उपचारिकाएं नियुक्त पाई गईं, जबकि वहां 2,360 की जरूरत है।
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