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CAG ने अपाचे, चिनूक हेलीकॉप्टरों की खरीद में खामियां पाईं

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) ने अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर चिनूक की सितंबर 2015 में हुई खरीद में कुछ खामियां पाई हैं

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kunal kaushal
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CAG ने अपाचे, चिनूक हेलीकॉप्टरों की खरीद में खामियां पाईं

सीएजी रिपोर्ट (फाइल फोटो)

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक(कैग) ने अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टरों और हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टर चिनूक की सितंबर 2015 में हुई खरीद में कुछ खामियां पाई हैं. अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर पर, कैग ने पाया कि रिक्वे स्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) सात वेंडरों के लिए जारी हुए थे, लेकिन तीन ने ही इसपर प्रतिक्रिया दी. कैग के अनुसार, "ये सभी एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट(एएसक्यूआरएस) को पूरा नहीं कर सके. बोली प्रक्रिया को रद्द कर दिया गया. जो एएसक्यूआर मानदंड नहीं मिल सके, उसे हटा दिया गया और नया टेंडर पास किया गया." कैग के अनुसार, "अगर इन एएसक्यूआर मानदंडों की जरूरत नहीं थी तो इन्हें पहले टेंडर में शामिल नहीं करना चाहिए था."

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दोबारा बोली लगाने के बाद, वेंडर आरएफपी आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर सके और रक्षा मंत्रालय को दूसरी बार निविदा जारी करने पर विचार करना पड़ा. हालांकि अत्यधिक देरी के बाद कुछ बदलावों के साथ इसे स्वीकार कर लिया गया. इसमें प्रस्तावित चार हफ्तों के बदले 36 हफ्तों का समय लग गया.

रिपोर्ट के अनुसार, एएसक्यूआरएस में बोइंग की सलाह पर बदलाव किया गया और अंत में अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए कांट्रैक्ट बोइंग को ही दिया गया.

आरएफपी के अंतर्गत वेंडर को हेलीकॉप्टरों के रखरखाव के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की जरूरत थी. रखरखाव के लिए अलग से कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए.

कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करने से पहले, बोइंग ने रक्षा मंत्रालय को आश्वस्त कर लिया कि हेलीकॉप्टरों की कम संख्या को देखते हुए भारत में प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और रखरखाव किफायती नहीं होगा.

कैग ने कहा कि मंत्रालय ने इसपर सहमति जताई. प्रक्रिया के दौरान इस तरह के बदलाव किए गए. आईएएफ अब मरम्मत और रखरखाव के लिए बोइंग पर निर्भर रहेगा.

इन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिकी सरकार द्वारा मिसाइलों की आपूर्ति अंतर सरकारी समझौते(आईजीए) के अंतर्गत की जाएगी. अमेरिकी सरकार ने इसके लिए जीवन अवधि समाप्त हो चुके(लाइफ-एक्सपायर्ड) मिसाइलों की आपूर्ति की.

चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टरों पर, कैग ने देखा कि एयर स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट(एएसक्यूआरएस) को इस तरह तैयार किया गया कि ये चिनूक हेलीकॉप्टरों की विशेषताओं के साथ संरेखित हैं.

चिनूक और मिग 26 दोनों हेलीकॉप्टर तकनीकी रूप से पात्र थे. चिनूक में 45 जवानों के लिए जगह के साथ 11 टन भार ढोने की क्षमता है, जबकि मिग 26 की भार ढोने की क्षमता 20 टन और 82 जवानों को ले जाने की क्षमता है.

कैग के अनुसार, "आईएएफ ने तकनीकी विशेषताओं को देखने के बाद दोनों हेलीकॉप्टरों के मूल्यों की तुलना की. चिनूक मिग 26 की तुलना में सस्ता था और उसे चुन लिया गया."

कैग के अनुसार, "जब आईएएफ एएसक्यूआर की तैयारी कर रहा था, सेना ने इच्छा जताई कि हेलीकॉप्टर के केबिन में आर्टिलरी बंदूकों को ले जाने की क्षमता होनी चाहिए. आईएएफ ने सेना की यह बात नहीं मानी, क्योंकि ऐसा करने पर केवल एक ही वेंडर इसके लिए पात्र घोषित हो पाता."

Source : IANS

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