केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में हाल के दिनों की सबसे अधिक वृद्धि को मंजूरी दी। ये मंजूरी वित्तीय वर्ष 2023-24 पर लागू होगी।
सरकार ने एमएसपी पर 10 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है।
खाद्य और उपभोक्ता मामले, वाणिज्य और कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता महंगाई को काबू में रखना है और इसलिए हाल के दिनों में उसने खरीद बढ़ा दी है ताकि आम आदमी को परेशानी न हो, साथ ही महंगाई का बोझ न पड़े। मूल्य वृद्धि सरकार द्वारा वहन की जाएगी।
मूंगफली के एमएसपी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 6,357 रुपये प्रति क्विंटल, अरहर के लिए 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 7,000 रुपये प्रति क्विंटल और उड़द के लिए यह 6,950 रुपये प्रति क्विंटल है।
ज्वार, बाजरा और रागी के एमएसपी में 6 प्रतिशत से 7 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी की गई है।
इससे एक दिन पहले सरकार ने तुअर, उड़द और मसूर की खरीद पर से सीमा हटा ली थी। ठीक एक दिन बाद सभी आवश्यक फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है, ताकि किसान जितना चाहते हैं उतना उत्पादन कर सकें।
गोयल ने कहा कि यूपीए के कार्यकाल में महंगाई दर 10 से 12 फीसदी तक पहुंचना आम बात थी और 2014-15 से महंगाई 4.5 फीसदी के दायरे में रही है और जब यह 7 फीसदी तक पहुंच गई, तो सरकार और आरबीआई ने इसे काबू करने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार किसानों को अन्नदाता (खाद्य प्रदाता) मानती है और इसलिए, जब एमएसपी में बढ़ोतरी होती है, तो उन्हें अपनी उपज की अच्छी कीमत मिलती है।
तिलहन किसानों को उनकी उपज के लिए पर्याप्त एमएसपी क्यों नहीं मिल रही है और खरीद की कमी के कारण उन्हें विरोध करने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ रहा है, इस सवाल पर मंत्री ने स्पष्ट जवाब नहीं दिया।
मंगलवार को तिलहन किसानों ने कुरुक्षेत्र के पास राष्ट्रीय राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, यह दावा करते हुए कि सरकार एमएसपी पर उनके सूरजमुखी के बीज नहीं खरीद रही है।
गोयल ने सीधे शब्दों में कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें जरूरत पड़ने पर किसानों को समर्थन देने की कोशिश करती हैं।
सरकार ने 2023-24 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में वृद्धि की है, ताकि उत्पादकों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य मिले और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित किया जा सके।
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Source : IANS