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लोकसभा चुनाव के बाद अब डिप्टी स्पीकर पद की लड़ाई हुई तेज

कैबिनेट का गठन हो गया है और अब सरकार का कामकाज भी शुरू हो चुका है.

Updated on: 06 Jun 2019, 12:10 PM

नई दिल्ली:

देश में एक बार फिर बीजेपी की सरकार सत्ता में आ गई है. कैबिनेट का गठन हो गया है और अब सरकार का कामकाज भी शुरू हो चुका है. लेकिन संसद का सदन शुरू होना बाकी है और लोकसभा में स्पीकर, डिप्टी स्पीकर के लिए चुनाव अभी होना बाकी है. ऐसे में दूसरे और तीसरे नंबर की पार्टियां अभी से ही अपना हक जता रही हैं. मोदी सरकार की साथी शिवसेना ने भी इस पद पर दावा ठोका है, उनकी मांग है कि ये पद उनका हक है और उन्हें ही मिलना चाहिए.

शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गुरुवार को डिप्टी स्पीकर पद के मुद्दे पर कहा कि हमारी ये डिमांड नहीं है, ये हमारा नेचरल क्लेम है और हक है. राउत ने कहा कि ये पद शिवसेना को ही मिलना चाहिए.

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शिवसेना का ये बयान उस वक्त आया है जब इस पद को लेकर चर्चा चल रही है कि इस बार ये मौका BJD या फिर YSR कांग्रेस जैसी पार्टियों को भी मिल सकता है. इससे पहले एनडीए (NDA) में बीजेपी के साथी दल मंत्रिपरिषद में हिस्से को लेकर नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं. इसी कारण जेडीयू तो सरकार में शामिल ही नहीं हुई है.

आपको बता दें कि अभी स्पीकर या डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं हुआ है. खबरें हैं कि इस बार बीजेपी की ओर से मेनका गांधी, एस.एस. अहलूवालिया जैसे वरिष्ठ सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष के पद पर निर्वाचित किया जा सकता है.

बताया जा रहा है कि 19 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा, उससे पहले 17 और 18 जून को प्रोटेम स्पीकर की ओर से नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी.

डिप्टी स्पीकर पर किसका हक?

वहीं अगर डिप्टी स्पीकर के पद के चुनाव की बात करें, तो अभी तक इस पर कोई चर्चा सामने नहीं आई है. बता दें अक्सर डिप्टी स्पीकर को विपक्ष की पार्टियों में से ही चुना जाता है, जिसमें विपक्षी पार्टियां आपसी सहमति से इस पद के उम्मीदवार को चुनती हैं.

हालांकि, पिछली बार मोदी सरकार की ओर से इस परंपरा को भी बदल दिया गया. मोदी सरकार कार्यकाल-1 में डिप्टी स्पीकर का पद AIADMK के एम.थंबीदुरई के पास था. तब विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया था कि मोदी सरकार के प्रति AIADMK का रुख नरम है, इसी वजह से उन्हें ये पद दिया गया था.