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बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय का रास्ता साफ, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

एनपीए (खराब लोन) और घाटे से जूझ रहे तीन सरकारी बैंकों के विलय को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है.

Updated on: 02 Jan 2019, 05:53 PM

नई दिल्ली:

एनपीए (खराब लोन) और घाटे से जूझ रहे तीन सरकारी बैंकों के विलय को केंद्रीय कैबिनेट ने अपनी मंजूरी दे दी है. अब इंडियन बैंक, विजया बैंक और देना के मर्जर का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है और कागजी कार्यवाही के बाद तीनों बैंकों का विलय कर दिया जाएगा. गौरतलब है कि पहले मोदी सरकार बैंक ऑफ बड़ौदा आईडीबीआई (बीओबी), ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) और सेंट्रल बैंक (सीबीआई) के विलय पर विचार कर रही थी लेकिन अभी तीन बैंकों के विलय पर अंतिम सहमति बन गई है. इससे पहले न्यूज एजेंसी पीटीआई ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से बताया था कि सरकार की योजना सरकारी बैंकों का विलय कर 4-5 वैश्विक आकार के बैंक बनाने की है.

गौरतलब है कि सरकार पांच सहायक बैंक और भारतीय महिला बैंक को एसबीआई में विलय कर चुकी है ताकि विश्व के 50 बड़े बैंकों में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई को शामिल किया जा सके.

लगातार बढ़ते एनपीए की चुनौती की वजह से सरकार बैंकों के एकीकरण की कोशिशों को अमली जामा पहनाने में जुटी हुई है. देश की बैंकिंग व्यवस्था का कुल एनपीए 10 लाख करोड़ रुपये के आंकड़ें को पार कर चुका है, जिसमें सरकारी बैंकों कि हिस्सेदारी 8.9 लाख करोड़ रुपये की है.

सरकारी बैंकों को बूस्टर पैकेज के ऐलान के बाद सरकार ने सार्वजनिक बैंकों के विलय के लिए वित्तमंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में एक अंतर मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया था. इस कमेटी में रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हैं. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के लिए वैकिल्पक प्रणाली के तहत गठित की गई यह समिति सरकारी बैंकों के विलय प्रस्ताव पर गौर करेगी. इस समिति के प्रस्ताव हर तिमाही में मंत्रिमंडल के समक्ष रखे जाएंगे.

बीते नवंबर में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने पिछले हफ्ते सरकारी बैंकों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डाले जाने की घोषणा की थी. तब जेटली ने कहा था कि इसके साथ अगले कुछ महीनों में बैंकों में सुधारों को लेकर कई कदम उठाए जाएंगे. वैकल्पिक प्रणाली का गठन इस दिशा में उठाया गया कदम है.

तीन बैंकों विलय का रास्‍ता साफ

भारत सरकार (government of indian) ने देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को मर्ज करने का फैसला ले लिया है. फाइनेंसियल सर्विसेज सेक्रेटरी राजीव कुमार ने कहा, 'हमने देना बैंक, विजया बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा को मर्ज करने का फैसला किया है. तीनों बैंकों के विलय से यह देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा.

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यह बैंक होंगे महत्‍वपूर्ण

जानकारों के अनुसार पंजाब नैशनल बैंक, कैनरा बैंक और बैंक ऑफ इंडिया में बाकी बैंकों का विलय हो सकता है. इस प्रकार जल्‍द ही देश में 5 बड़े बैंक सामने आ जाएंगे. यह बैंक जहां ग्‍लोबल चुनौतियों का अच्‍छी तरह सामना कर सकेंगे, वहीं NPA का सामना भी अच्‍छी  तरह कर पाएंगे. बैंकिंग क्षेत्र में NPA पर वित्‍त मंत्री का कहना है कि इसकी वास्तविक तस्वीर 2015 में ही सामने आई. यूपीए ने कार्पेट के नीचे एनपीए को छिपा दिया था.' जेटली के अनुसार इस विलय से टिकाऊ बड़ा बैंक पैदा होगा, जो देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा.

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SBI हो गया है दुनिया के 50 बड़े बैंक में शामिल

पिछले डेढ़ साल में दूसरी बार सरकारी बैंकों का विलय किया जा रहा है. पिछली बार सरकार ने पांच सहयोगी बैंकों और भारतीय महिला बैंक का भारतीय स्टेट बैंक में एक अप्रैल, 2017 को विलय किया था. इसके बाद देश का सबसे बड़ा बैंक एसबीआई दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो गया है.

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मजबूत बैंकाें के फायदे

बड़े बैंक हर तरह की दिक्‍कतों का सामना आसानी से कर लेते हैं. वर्ष 2008 में आई आर्थिक मंदी के दौरान दुनिया के कई देशों में हजारों छोटे बैंक बंद हो गए थे. इनके पास जितनी पूंजी थी वह इस मंदी के दौरान खत्‍म हो गई. इसके बाद इन बैंकों के पास बंद होने के सिवा कोई रास्‍ता नहीं था. इसके चलते कई देशों की अर्थव्‍यवस्‍था संकट में आ गई थी. तभी से सरकारी स्‍तर पर बैंकों के एकीकरण की बात सामने आनी लगी थी. लेकिन माेदी सरकार ने इस पर तेज काम किया. पहले SBI के सहयोगी बैंकों का विलय हुआ और अब तीन सरकारी बैंको का विलय. इस विलय से बनने वाला बैंक देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. यह बैंक बड़े बड़े लोन को खुद देने का फैसला कर सकेंगे. अभी बड़ा लोन देने के लिए इन बैंकों को कंसोर्टियम बनाना पड़ता है. जिसमें कई तरह की दिक्‍कतें आती हैं और लोन वसूलने में बाधा आती है. देश में NPA बढ़ने का यह भी एक बड़ा कारण रहा है. काफी समय तक यही तय नहीं हो पाता है कि लोन NPA होने पर कौन वसूलने के लिए कार्रवाई शुरू करे. अब बड़े बैंक बनने से यह समस्‍या दूर होंगी और NPA की समस्‍या से निपटना आसान होगा.

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सरकारी बैंकों का नाम

1. आंध्रा बैंक 
2. इलाहाबाद बैंक 
3. बैंक ऑफ बड़ौदा
4. बैंक ऑफ इंडिया 
5. बैंक ऑफ महाराष्‍ट्र 
6. कैनरा बैंक
7. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया 
8. कॉर्पोरेशन बैंक 
9. देना बैंक
10. इंडियन बैंक 
11. इंडियन ओवरसीज बैंक
12. ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स 
13. पंजाब एण्‍ड सिंध बैंक 
14. पंजाब नैशनल बैंक 
15. सिंडीकेट बैंक 
16. यूको बैंक 
17. यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया 
18. यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 
19. विजया बैंक