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कैबिनेट ने तीन तलाक अध्यादेश को दी मंज़ूरी (फोटो- IANS)
केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत दी है. संसद में ट्रिपल तलाक बिल अटकने के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ मोदी सरकार ने इसे पास करने के लिए अध्यादेश का रास्ता अख्तियार किया है. कैबिनेट बैठक के दौरान इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी गयी है. कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडिया को यह जानकारी दी. ट्रिपल तलाक पर यह अध्यादेश 6 महीने तक लागू रहेगा. सरकार को इसे संसद से पारित कराना होगा. केंद्र सरकार को शीतकालीन सत्र में अध्यादेश के राज्यसभा से भी पास हो जाने की उम्मीद है. बता दें कि लोकसभा ट्रिपल तलाक बिल लोकसभा से पारित हो चुका है लेकिन राजयसभा में ये बिल अटका हुआ है.
राज्य सभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है। हाई कोर्ट ने पिछले साल इस प्रथा पर रोक लगा दी थी। यह प्रथा अब भी जारी है इसलिए इसे दंडनीय अपराध बनाने की खातिर विधेयक लाया गया।
कानून मंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, 'वोट बैंक के दबाव के कारण साथ नहीं दिया. महिला होने के बावजूद सोनिया गांधी ने साथ नहीं दिया.'
#WATCH: Law Minister RS Prasad says, "It's my serious charge with full sense of responsibility that a distinguished woman leader is ultimate leader of the Congress, yet barbaric inhuman Triple Talaq was not allowed to be ended by a Parliamentary law for pure vote bank politics" pic.twitter.com/R6m3hsiP6c
— ANI (@ANI) September 19, 2018
उन्होंने कहा, 'ट्रिपल तलाक के मामले लगातार बढ़ रहे है खासकर उत्तर प्रदेश में. तमाम मुस्लिम देश ट्रिपल तलाक को खत्म कर चुके है. इसे किसी धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए.'
अध्यादेश के मुख्य बिंदु-:
* इसमे अपराध कॉग्निजेंस तभी होगा जब महिला खुद शिकायत करेगी
* पड़ोसी नही कर पाएंगे शिकायत
* अगर पत्नी चाहे तो समझौता हो सकता है
* पत्नी का पक्ष सुनने के बाद मजिस्ट्रेट बेल दे सकता है
* नाबालिग बच्चों की कस्टडी मां को मिलेगी
शिया वाक्य बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कहा, 'महिलाओं ने इस मामले को समाज में लाने काम किया और सुप्रीम कोर्ट तक गईं. कट्टरपंथी समाज के खिलाफ हिंदू और मुस्लिम समाज समेत सभी लोग पीड़ित महिलाओं के साथ हैं.'
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तीन तलाक बिल पर अध्यदेश को मोदी कैबिनेट की मंजूरी के बाद केन्द्र सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. सुरजेवाला ने कहा कि बीजेपी तीन तलाक बिल को फुटबॉल बनाना चाहती है.
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह अध्यादेश महिलाओं को इंसाफ नहीं दिलाएगा. ओवैसी ने कहा, 'यह अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है. यह अध्यादेश महिलाओं को न्याय नहीं दिलाएगा. इस्लाम में शादी सिविल कॉन्ट्रैक्ट है. इसमें दंड प्रावधान लाने गलत है.'
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई के बाद अपने फैसले में केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि तीन तलाक के मुद्दे पर वह न्यायालय के फैसले का इंतजार करने के बजाय मुस्लिमों में तीन तलाक सहित शादी और तलाक से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए एक कानून लाए. मोदी सरकार ने इस पर ट्रिपल तलाक बिल को लोकसभा में पेश किया जहां से यह पास हो गया लेकिन राज्यसभा में यह बिल लटक गया. कांग्रेस समेत कई दलों ने इस कानून के कुछ नियमों पर सवाल उठाए और इस बिना बदले पास किए जाने का विरोध किया.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था सुनवाई में ?
सुप्रीम कोर्ट में इस पर सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी भी कानून की गैर मौजूदगी में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा करने को लेकर शीर्ष न्यायालय द्वारा तैयार विशाखा दिशा-निर्देशों का जब रोहतगी ने संदर्भ दिया, तो न्यायमूर्ति कुरियन ने कहा कि यह कानून का मामला है न कि संविधान का.
तीन तलाक की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता की तरफ से न्यायालय में पेश हुईं वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि न्यायालय मामले पर पिछले 67 वर्षो के संदर्भ में गौर कर रहा है, जब मौलिक अधिकार अस्तित्व में आया था न कि 1,400 साल पहले जब इस्लाम अस्तित्व में आया था.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शबनम की ओर से तीन तलाक पर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे असंवैधानिक करार दे दिया था।। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत बताते हुए संविधान के आर्टिकल 14 का हनन बताया था।
Source : News Nation Bureau