एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव करने वालों के खिलाफ सरकार अब सख्त हो गई है। सरकार ने एचआईवी/ एड्स बिल (रोक एवं नियंत्रण) 2014 में बदलाव को मंजूरी देकर एड्स पीड़ितों को नया अधिकार दे रही है।
एचआईवी/ एड्स बिल (रोक एवं नियंत्रण) 2014 को मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दी। इस बिल को यूपीए सरकार ने अंतिम दिनों में पेश किया था।
गौरतलब है कि एनडीए सरकार ने जुलाई में इस बिल में कमियां दूर करने के लिए बदलाव की बात कही थी। इस बिल का उद्देश्य एचआईवी/ एड्स पीड़ितों के इलाज में एंटीरेट्रोवायरल उपचार को जरूरी बनाना था।
संशोधन में क्या है
संशोधन को आज मंजूरी देने के बाद अब इस बिल में एड्स पीड़ितों निम्नलिखित अधिकार मिलेंगे
1-एड्स पीड़ितों के साथ भेदभाव करने वालों के खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए एक औपचारिक तंत्र स्थापित किया जा सकेगा और कानूनी जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।
2-किसी भी व्यक्ति को एचआईवी संबंधी उसकी स्थिति के बारे में खुलासा करने के लिए तब तक बाध्य नहीं किया जा सकता जब तक कि उसकी सूचित सहमति न हो और अदालत के आदेश के तहत ऐसा करना अनिवार्य नहीं हो।
3- एचआईवी से संक्रमित लोगों और उनके साथ रह रहे लोगों के खिलाफ नफरत फैलाने की वकालत करने या उनसे संबंधित सूचना प्रकाशित करने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है
4- प्रस्ताव के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के एचआईवी से संक्रमित या पीड़ित हर व्यक्ति को साझे घर में रहने और घर की सुविधाओं का आनंद लेने का अधिकार है।
5- हर राज्य सरकार एक लोकपाल को नियुक्त करे ताकि वह एचआईवी पीड़ितों की शिकायतों को दूर करे और भेदभाव करने वाले लोगों पर कार्रवाई की जा सके।
Source : News Nation Bureau