नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को संसद द्वारा कानून बनाए गए तीन साल से अधिक हो गए हैं, फिर भी गृह मंत्रालय ने इसे लागू करने के लिए नियम नहीं बनाए हैं। जिस प्रक्रिया को छह महीने में पूरा किया जाना चाहिए था, उसमें केंद्रीय गृह मंत्रालय को कुछ ज्यादा ही वक्त लग गया।
ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयूू) का आरोप है कि सरकार जानबूझकर राजनीतिक लाभ के लिए सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की कार्यवाही में देरी कर रही है। छात्रों का संगठन इस अधिनियम को रद्द करने की मांग को लेकर देश की शीर्ष अदालत में मुकदमा लड़ रहा है। एएएसयूू के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, इस मुद्दे पर हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है। सीएए को हटाना चाहिए।
संसद में पेश किए जाने के ठीक बाद एएएसयूू (आसू) ने सीएए के खिलाफ उग्र विरोध प्रदर्शन किया था। भट्टाचार्य ने कहा कि हम लोकतांत्रिक और कानूनी दोनों माध्यमों से सीएए के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखे हुए हैं। कानूनी लड़ाई हम सुप्रीम कोर्ट में लड़ रहे हैं। लोकतांत्रिक रूप से, हम हमेशा असम और पूर्वोत्तर के लोगों के बीच सक्रिय रहे हैं ताकि हर कोई यह समझ सके कि सीएए हमारे लिए काफी हानिकारक है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आसू विवादास्पद अधिनियम पर अपना रुख कभी नहीं बदलेगा।
भट्टाचार्य ने पूछा, जिन राज्यों में इनर लाइन परमिट (आईएलपी) के प्रावधान हैं जैसे मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर, उनको सीएए से छूट दी गई थी। अगर यह कानून इन चार राज्यों के लिए फायदेमंद नहीं है तो देश के अन्य आदिवासी क्षेत्रों के लिए कैसे फायदेमंद हो सकता है।
भट्टाचार्य ने आगे कहा, मेघालय में अधिकांश स्थान छठी अनुसूची के क्षेत्रों से संबंधित हैं। असम में भी इस समझौते के तहत कुछ क्षेत्र हैं जहां सीएए लागू नहीं होगा। इसलिए, मैं सीएए के भीतर अन्य क्षेत्रों को शामिल करने के बारे में केंद्र सरकार से एक ही सवाल पूछ सकता हूं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि भाजपा सरकार सीएए को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरमा ने कहा कि यह भाजपा की प्रतिबद्धता का हिस्सा है, यह हमारी विचारधारा का हिस्सा है। हम इसे लागू करेंगे।
उन्होंने विपक्षी दलों के इस दावे को खारिज कर दिया कि भाजपा राजनीतिक लाभ के लिए सीएए को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल कर रही है। जब भट्टाचार्य से सीएए के संबंध में भाजपा की रणनीति के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, हम एक गैर-राजनीतिक बॉडी हैं और वोटबैंक की राजनीति में शामिल नहीं होना चाहते हैं।
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Source : IANS