करोड़ों खर्च किए जाने के बाद भी क्यों नहीं बदली बुंदेलखंड की हालात, 200 अफसर का सच आया सामने

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छह जिलों की तस्वीर बदलने के लिए 2,100 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, मगर किसी तरह का बदलाव नजर नहीं आया।

author-image
Vineeta Mandal
एडिट
New Update
करोड़ों खर्च किए जाने के बाद भी क्यों नहीं बदली बुंदेलखंड की हालात,  200 अफसर का सच आया सामने

किसान और गरीबों का पैसा हड़प गए 200 अफसर (सांकेतिक चित्र)

बुंदेलखंड पैकेज में मंजूर राशि में से करोड़ों रुपये खर्च होने के बाद भी इस इलाके की तस्वीर में कोई बदलाव नहीं आया है। अब उसकी हकीकत सामने आने लगी है।

Advertisment

सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक, विभिन्न विभागों के लगभग 200 अधिकारियों और कर्मचारियों ने आवंटित राशि में बंदरबांट की है। इनमें से अधिकांश के खिलाफ आरोप पत्र भी जारी किए जा चुके हैं।

बुंदेलखंड बीते कुछ सालों से सूखा और जल संकट का केंद्र बन गया है। यहां गर्मी के मौसम में पीने के पानी को लेकर मारामारी का दौर शुरू हो जाता है। खेती के लिए पानी मिलना दूर की कौड़ी होता है।

यहां के हालात बदलने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2008 में 7400 करोड़ रुपये विशेष पैकेज के तहत मंजूर किए थे। इसमें से 3,860 करोड़ की राशि मध्य प्रदेश के छह जिलों और शेष उत्तर प्रदेश के सात जिलों में सिंचाई, खेती, जलसंरचना, पशुपालन आदि पर खर्च की जानी थी।

और पढ़ें: अन्ना आंदोलन का दूसरा दिन, भूख हड़ताल पर बैठे इस बूढ़े क्रांतिकारी की क्या है मांग?

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छह जिलों में अब तक पैकेज की कुल 3,860 करोड़ में से 2,100 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, मगर इतनी राशि के बावजूद कहीं भी कोई बदलाव नजर आना मुश्किल है। इस मामले को लेकर टीकमगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता पवन घुवारा ने मुख्य तकनीकी परीक्षक (सतर्कता) विभाग से शिकायत की। इस मामले की जांच हुई, मगर विभागों ने उन्हें विस्तृत ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया।

पवन ने बताया कि सर्तकता विभाग की जांच के आधार पर उन्होंने विधानसभा याचिका समिति में आवेदन दिया, उस आवेदन के आधार पर विधानसभा सचिवालय ने सामान्य प्रशासन विभाग से ब्यौरा मांगा। सामान्य प्रशासन विभाग ने जो जानकारी उपलब्ध कराई है, वह चौंकाने वाली है।

उन्होंने बताया कि सात विभागों के 200 अफसरों-कर्मचारियों को कटघरे में खड़ा किया गया है या यूं कहें कि उन्हें अनियमितता के लिए प्रारंभिक तौर पर दोषी पाया गया है। कई के खिलाफ आरोपपत्र पेश हुए तो कई पर कार्रवाई भी हुई।

विधानसभा सचिवालय से मिले ब्यौरे में इस बात का सीधे तौर पर खुलासा किया गया है कि अफसरों ने बड़े पैमाने पर गफलत की है। यही कारण है कि वन विभाग के 31 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय जांच की गई।

कृषि कल्याण विभाग के तत्कालीन उप संचालक जे.आर. हेड़ाऊ, पशुपालन विभाग के तत्कालीन उप संचालक वी.के. तिवारी के खिलाफ भी विभागीय जांच की गई।

विधानसभा सचिवालय के मुताबिक, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के 15 कर्मचारियों को अनियमितता में लिप्त पाया गया। जल संसाधन विभाग के 91 अधिकारी घेरे में आए। उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के दो अफसर आर.एस. पटेरिया व रमेश चंद्र मिश्रा को अनियमितता में लिप्त होने का आरोपपत्र जारी किया गया।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के 22 अधिकारियों और कर्मचारियों को आरोपपत्र जारी किए गए। वहीं वन विभाग के 34 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई जारी है।

और पढ़ें: महाराष्ट्र में नीरव मोदी ने किसानों को भी छला, धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन

गौरतलब है कि बुदेलखंड के क्षेत्र को सूखे से निजात दिलाने के लिए वर्ष 2008-2009 में तत्कालीन केंद्र की संयुक्त प्रतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की पहल पर बुंदेलखंड पैकेज के रूप में 'मध्य प्रदेश को 3,860 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।

स्वीकृत राशि में से सागर जिले में 840़ 54 करोड़, छतरपुर जिले में 918़ 22 करोड़, पन्ना जिले में 414़19 करोड़, दमोह जिले में 619़12 करोड़ टीकमगढ़ जिले में 503़12 करोड़ दतिया 331 करोड़ रुपये से विकास कार्य किए जाने थे, जिसमें 2,100 करोड़ रुपये सरकार भी विभिन्न योजनाओं में खर्च कर चुकी है।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के सभी छह जिलों पर नजर दौड़ाई जाए, तो वहां सिर्फ अनाज रखने वाले वेयर हाउस ही बने नजर आते हैं। नहरें जगह-जगह से दरक गई हैं और बांध टूटे पड़े हैं। पशुपालन की राशि हितग्राहियों के खातों में न जाकर अफसरों के खातों में गई है। बकरी और भैंसें केवल कागजों पर बांटी गई हैं।

घुवारा के मुताबिक, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकीय विभाग द्वारा छह जिलों में 100 करोड़ रुपये की लागत से 1,287 नलजल योजनाएं तैयार की गईं। इनमें से 997 योजनाएं शुरू ही नहीं हो पाईं। यही हाल अन्य योजनाओं का भी हुआ है।

घुवारा का कहना है कि उन्हें विधानसभा सचिवालय के माध्यम से सामान्य प्रशासन विभाग ने जो प्रतिवेदन दिया गया है, वह पूरा नहीं है, सिर्फ अफसरों की संख्या का जिक्र है। नाम, पद, आरोप, दोष सहित अन्य जानकारी नहीं दी गई है।

यहां बताना लाजिमी होगा कि राज्य सरकार के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव भी बुंदेलखंड पैकेज से प्रस्तावित नलजल योजनाओं की स्थिति पर कई बार सवाल उठा चुके हैं। इतना ही नहीं, बुंदेलखंड पैकेज पर नजर रखने के लिए तैनात अधिकारी जे.एस. सामरा भी कार्यो की गुणवत्ता से कभी संतुष्ट नहीं रहे।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड के छह जिलों की तस्वीर बदलने के लिए 2,100 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं, मगर किसी तरह का बदलाव नजर नहीं आया, क्योंकि गरीबों के हिस्से की राशि का जमकर बंदरबांट हुआ है। अब तो इस बंदरबांट की कहानी पर से पर्दा भी उठने लगा है।

और पढ़ें: SP-BSP के साथ आने से डरी BJP ने राज्यसभा चुनाव में किया धनबल का प्रयोग, 2019 में चटाएंगे धूल: मायावती

Source : IANS

Bundelkhand Package farmers madhya-pradesh Bundelkhand
      
Advertisment