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लगेंगे सपनों को पंख: दिल्ली से बनारस तक दौड़ेगी बुलेट ट्रेन, जुड़ेंगे ये धार्मिक शहर, सर्वे आज से

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को एक नई सौगात मिलने जा रही है. देश की राजधानी दिल्ली और धर्म नगरी काशी को हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन की जल्द ही सौगात मिलेगी.

Updated on: 13 Dec 2020, 01:49 PM

नई दिल्ली:

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को एक नई सौगात मिलने जा रही है. देश की राजधानी दिल्ली और धर्म नगरी काशी को हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन की जल्द ही सौगात मिलेगी. इसके लिए दिल्ली से वाराणसी के बीच हाई स्पीड कॉरिडोर बनाने के लिए आज से सर्वे का कार्य भी शुरु होने जा रहा है. इस कॉरिडोर से यूपी के 4 धार्मिक शहरों को भी जोड़े जाने की योजना है. कान्हा की नगरी मथुरा, भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या, तीर्थ प्रयागराज और धर्म नगरी काशी को इस कॉरिडोर में शामिल करने की योजना है.

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नार्थ सेंट्रल रेलवे के सीपीआरओ अजीत कुमार सिंह के मुताबिक, नेशनल हाईस्पीड रेल कार्पोरेशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिल्ली से वाराणसी 865 किलोमीटर हाई स्पीड कॉरिडोर के लिए 13 दिसम्बर (आज) से सर्वे शुरु करने की जानकारी दी है. इस कॉरिडोर के सर्वेक्षण के लिए लिडार तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. जिसमें हेलीकॉप्टर और अत्याधुनिक उपकरणों से कॉरिडोर के निर्माण के लिए सर्वेक्षण कराया जाएगा. जिससे कई महीनों में पूरा होने वाला सर्वे जल्द ही पूरा हो जाएगा. सर्वे शुरु होने से लेकर 10 से 12 हफ्ते में सर्वे पूरा कर सबमिट कर दिया जाएगा. जिसके बाद इसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार की जाएगी.

3 बड़े शहरों को जोड़े जाने की उम्मीद

दिल्ली से वाराणसी के बीच बनने वाले हाई स्पीड कॉरिडोर में कानपुर, लखनऊ और प्रयागराज शहरों को जोड़े जाने की पूरी उम्मीद है. वाराणसी-नई दिल्ली रूट पर प्रस्तावित बुलेट ट्रेन के लिए डेडीकेटेड कॉडीडोर बन जाने से जहां 300 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से बुलेट ट्रेन चलेगी. वहीं वाराणसी से नई दिल्ली का सफर महज ढाई घंटे से तीन घंटे में तय होगा. इस कॉरिडोर के बन जाने से जहां प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं हाई स्पीड ट्रेन यानि बुलेट ट्रेन के आ जाने से औद्योगिक विकास को भी और गति मिलेगी. उद्यमी भी देश की राजधानी दिल्ली और वाराणसी के बीच डेडीकेटेड कॉरिडोर बनाकर हाई स्पीड ट्रेन यानि बुलेट ट्रेन चलाए जाने के फैसले का स्वागत कर रहे हैं.

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उद्यमियों का मानना है कि हाई स्पीड ट्रेन यानि बुलेट ट्रेन आ जाने से जो लोग अब तक प्रयागराज नहीं आ पाते थे, दिल्ली से यहां कम समय में पहुंच सकेंगे. जिससे पर्यटन और तीर्थाटन को बढ़ावा मिलेगा. सीपीआरओ नार्थ सेन्ट्रल रेलवे अजीत कुमार सिंह के मुताबिक, देश में अभी तक 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले सेमी हाई स्पीड ट्रेनें मौजूद हैं. लेकिन हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन के लिए डेडीकेटेड कॉरिडोर की जरुरत होती है. ऐसे में दिल्ली से वाराणसी के बीच हाई स्पीड कॉरिडोर बन जाने के बाद हाई स्पीड ट्रेन यानी बुलेट ट्रेन चलाने का लोगों का सपना पूरा होगा.

पिछले साल वाराणसी को मिली थी वंदे भारत ट्रेन की सौगात

इससे पहले पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को 17 फरवरी 2019 को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत की सौगात मिली थी. जिससे लगभग आठ घंटे में वाराणसी से दिल्ली का सफर वाया प्रयागराज पूरा होता है. इस ट्रेन की उत्तर मध्य रेलवे में औसत गति 104 किमी प्रति घंटा है, जो कि भारतीय रेलवे में सर्वश्रेष्ठ गति है. इसके कोच खासतौर पर इंटीग्रेडेट कोच फैक्ट्री चेन्नई में तैयार किए गए हैं. बगैर इंजन की इस ट्रेन के अल्टरनेट कोचेज में मोटर लगी हैं. जिससे ट्रेन में तीव्रता से गति पकड़ने और शीघ्रता से रुकने की क्षमता है. यह ट्रेन वाराणसी से दिल्ली का सफर सबसे कम समय में 8 घंटे में तय करती है. जबकि यह ट्रेन नई दिल्ली से इलाहाबाद छह घंटे आठ मिनट में पहुंचती है. वहीं राजधानी ट्रेन भी इससे ज्यादा समय लेती है और 6 घंटे 42 मिनट में सफर तय करती है.

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बुलेट ट्रेन अयोध्या से होकर जाएगी

दिल्ली से वाराणसी तक बुलेट ट्रेन चलाने की योजना बनाई जा रही है. बुलेट ट्रेन अयोध्या से होकर जाएगी. अयोध्या से दिल्ली की दूरी करीब 700 किमी है. अभी दिल्ली से अयोध्या ट्रेन से आने में करीब 10 घंटे तक लग जाते हैं. लेकिन बुलेट ट्रेन से ये दूरी महज ढाई घंटे से कम समय मे तय की जा सकेगी. अयोध्या से अगर बुलेट ट्रेन को जोड़ा जाता है तो मंदिर निर्माण के साथ अयोध्या के विकास में चार चांद लग जाएगा. अयोध्या में मंदिर बनने के बाद यहां आने वाले श्रद्धालुओं की तादात में भारी बढ़ोतरी होने वाली है. ऐसे में अयोध्या को बुलेट ट्रेन से जोड़ना एक बड़ा कदम है.  

अयोध्या के लिए बुलेट ट्रेन जैसे सोने पर सुहागा

अयोध्या के लोगों का कहना है कि अगर अयोध्या बुलेट ट्रेन आती है तो अयोध्या का विकास और तेजी से हो सकेगा. निवेशकों का भरोसा बढ़ने के साथ अयोध्या में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी.  जिससे अयोध्या में धार्मिक पर्यटन को और ज़्यादा बढ़ावा मिलेगा. चुकी अयोध्या में वैदिक सिटी का निर्माण किया जाना है, वैसे में अगर बुलेट ट्रेन से इसे जोड़ दिया जाता है तो ये सोने पर सुहागा होगा. चूंकि अयोध्या में 100 करोड़ की लागत से विश्वस्तरीय रेलवे स्टेशन का निर्माण भी तेजी से हो रहा है, जिसका पहले चरण का निर्माण कार्य 2021 में पूरा होगा. सभी सुविधाओं से लैस अयोध्या का नया रेलवे स्टेशन बुलेट ट्रेन के लिए पर्याप्त साबित हो सकता है. कुल मिलाकर अयोध्या को अगर बुलेट ट्रेन से जोड़ा जाता है तो ये एक बड़ी उपलब्धि होगी.

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पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है बुलेट ट्रेन

डेडीकेटेड फास्ट कॉरिडोर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है. दिल्ली मुंबई, दिल्ली कोलकाता, अहमदाबाद मुंबई ट्रैक पर इसमें काम चल रहा है. मुंबई अहमदाबाद हाईस्पीड कॉरिडोर के बाद अब दिल्ली बनारस हाईस्पीड कॉरिडोर पर काम शुरू किया जा रहा है. इसकी डीपीआर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. इस कॉरिडोर में दिल्ली अयोध्या, मथुरा, इलाहाबाद बनारस तक बुलेट ट्रेन चलाने का प्रपोजल है. 
ये कॉरिडोर इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्यूंकि इसमें भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या, श्री कृष्ण की मथुरा और संगम स्थल इलाहाबाद ( प्रयागराज) भी शामिल होंगे. इस रूट पर विदेशी पर्यटक बहुत ज्यादा आते हैं और इससे रेलवे, राज्य सरकार दोनों को राजस्व का काफी फायदा होगा. अभी तक दिल्ली से बनारस की दूरी सामान्य ट्रेन से 10 घंटे में पूरी होती है, वंदे भारत से 8 घंटे में और बुलेट ट्रेन आ जाने से यात्री दिल्ली से बनारस 3 घंटे में पहुंच सकेंगे.

लिडार (LiDAR) तकनीक के जरिए होगा सर्वे

कॉरिडोर के लिए डीपीआर बनाने का काम शुरू हो गया है. आज से सर्वेक्षण का काम भी शुरु हो रहा है. लिडार तकनीक के जरिए इसका सर्वे होगा. इसके लिए लेजर बीम से लैस हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा. लाइट डिटेक्शन ऐंड रंजिंग तकनीक से प्रस्तावित ट्रैक और उसके आसपास के इलाके के बारे में सटीक आंकड़ों की जरूरत होती है. इस तकनीक का इस्तेमाल मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के ग्राउंड सर्वे के लिए किया गया था. लिडार तकनीक का इस्तेमाल सर्वे को कम समय और सटीक आंकड़ों के लिए किया जाता है. इस तकनीक के जरिए जो सर्वे 1 साल में पूरा होता वो 3-4 महीने में हो जाएगा. मौसम को ध्यान में रखते हुए ये काम कई चरणों में किए जाएगा, रक्षा मंत्रालय ने भी हेलीकॉप्टर से सर्वे की अनुमति दे दी है. 800 किलोमीटर के हाई स्पीड करिडोर के लिए अभी स्टेशन के नाम तय नहीं है.