राष्ट्र निर्माण और विकास के लिए कर वृद्धि उतनी ही जरूरी जितनी सुरक्षा : सीतारमण
वित्तमंत्री ने इसके साथ ही अमीर लोगों की आय पर सरचार्ज में वृद्धि पर पुनर्विचार की बहस को खारिज कर दिया.
highlights
- संसद में आम बजट पर बोलीं वित्तमंत्री
- आयकर राष्ट्र निर्माण में छोटा योगदान
- हर कोई दे राष्ट्र निर्माण में योगदान
नई दिल्ली:
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को अति समृद्ध लोगों पर आयकर सरचार्ज में वृद्धि राष्ट्र निर्माण में छोटा योगदान है. वित्तमंत्री ने इसके साथ ही अमीर लोगों की आय पर सरचार्ज में वृद्धि पर पुनर्विचार की बहस को खारिज कर दिया. आम बजट 2019-20 पर लोकसभा में चर्चा के दौरान जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उनके बजट में आर्थिक विकास को उतना ही तवज्जो दिया गया है जितना राष्ट्रीय की सुरक्षा को. सीतारमण ने पिछले सप्ताह संसद के बाहर भी ऐसा ही विचार व्यक्त किया था. उन्होंने कहा कि भारत में सबको राष्ट्र निर्माण में योगदान देने की जरूरत है.
बजट में उच्च आय वाले व्यक्तियों (एचएनआई) पर सरचार्ज बढ़ाकर 39 फीसदी से लेकर 42.7 फीसदी तक किए जाने की घोषणा के बाद पिछले दो दिनों में शेयर बाजार में भारी गिरावट आने से निवेशकों का 3.5 लाख करोड़ रुपये की रकम डूब गई. बंबई स्टॉक एक्सचेंज के प्रमुख शेयर सूचकांक सेंसेक्स बुधवार को भी 174.7 अंक नीचे बंद हुआ. हालांकि सीतारमण ने कहा, "यह आएगा तो हम इसे देखेंगे." वित्त मंत्रालय के विश्लेषण में बताया गया कि बजट में एचएनआई पर सरचार्ज की ऊंदी दरों से ट्रस्ट संरचना के जरिए आने वाले 40 फीसदी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पर असर पड़ेगा.
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एफपीआई इस ऊंची कर दर के अंतर्गत आ जाते हैं क्योंकि वे एसोसिएशन ऑफ र्पसस (एओपी) या ट्रस्ट जैसी नॉन-कॉरपोरेट संस्था के रूप में निवेश करते हैं जो आयकर कानून में व्यक्ति के रूप में वर्गीकृत हैं. इस पर सीबीडीटी के चेयरमैन पी. सी. मूडी ने बुधवार को कहा कि इस अतिरिक्त सरचार्ज से बचने के लिए एफपीआई और एआईएफ (अल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड) को कॉरपोरेट की संरचना में बदला जा सकता है.
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इससे पहले, अधिक दौलतमंद लोगों पर कर का भार बढ़ाने को उचित ठहराते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि भारत में कर की सर्वाधिक दर अभी भी अमेरिका और चीन समेत कई देशों से कम है. दुनियाभर में ज्यादा अमीर लोगों को अतिरिक्त कर चुकाने के लिए कहा जाता है. राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने कहा कि चीन और दक्षिण अफ्रीका में कर की सबसे ऊंची दर 45 फीसदी है और अमेरिका में यह 50.3 फीसदी है.
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