बजट 2017: नौकरियों के मौके बढ़ाने के लिए सरकार कर सकती है बड़े पैकेज का ऐलान

बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों के लिए सरकार का प्लान तैयार। रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए सरकार बजट 2017 में कर सकती है बड़े पैकेज का ऐलान।

बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों के लिए सरकार का प्लान तैयार। रोजगार के मौके बढ़ाने के लिए सरकार बजट 2017 में कर सकती है बड़े पैकेज का ऐलान।

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Shivani Bansal
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बजट 2017: नौकरियों के मौके बढ़ाने के लिए सरकार कर सकती है बड़े पैकेज का ऐलान

फाइल फोटो

बेरोजगारी से जूझ रहे लोगों के लिए खुशखबरी है। सरकार रोजगार के नए मौके उपलब्ध कराने के लिए एक बड़ा पैकेज दे सकती है। 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट 2017 में सरकार लाखों बेरोजगार युवकों के लिए नौकरियों के मौके बनाने के लिए एक बड़े पैकेज की घोषणा कर सकती है।

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एक अख़बार की रिपोर्ट के मुताबिक मामले से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि सरकार ऐसी योजना बना रही है जिसमें लेबर सेक्टर में रोजगार के मौके बनाने के लिए इंसेंटिव्स दिए जा सकते हैं। वहीं, सरकार कोस्टल इंप्लॉयमेंट ज़ोन बनाने की योजना पर भी विचार कर रही है। इसके ज़रिए टैक्स इंसेंटिव्स को जॉब क्रिऐशन से जोड़ा जाएगा।

इसके अलावा सरकार पिछले साल टेक्सटाइल सेक्टर के लिए शुरु की गई योजना के तर्ज पर ही इस बार लेदर, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग और जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में भी रोजगार के मौके बनाने के लिए इंसेंटिव्स देने की योजना पर विचार कर रही है।

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एक बड़े अधिकारी के मुताबिक, 'सरकार पर रोजगार के अवसर मुहैया कराने की रफ्तार को तेज़ करने का दबाव है क्योंकि कई कोशिशों के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों में नौकरियों के मौके नहीं मिल पा रहे हैं।' उन्होंने कहा कि कई मंत्रालयों ने भी अपने सेक्टरों में रोजगार के पर्याप्त अवसर नहीं बनने पर चिंता जताई है।

एक अनुमान के मुताबिक भारत में हर साल नौकरियों की तलाश में करीब 1.2 करोड़ लोग आते हैं। भारत की कुल आबादी में 65% से ज्यादा लोगों की उम्र 35 साल से कम है। ऐसे में भारत दुनिया में मानव संसाधन का बड़ा केंद्र बन सकता है। सितंबर 2016 में सरकार द्वारा जारी पांचवें सालाना रोजगार-बेरोजगारी सर्वे के मुताबिक, करीब 77% परिवारों के पास नियमित आय का कोई ज़रिया नहीं है।

श्रम मंत्रालय ने भी प्रस्ताव दिया है कि ज्यादा श्रम शक्ति की जरूरत वाले सभी सेक्टरों को फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट का विकल्प दिया जाए, प्रॉविडेंट फंड में उनके अंशदान की जरूरत को भी खत्म किया जाए और ओवरटाइम का समय बढ़ाया जाए।

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Source : News Nation Bureau

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