मेडिकल OBC आरक्षण पर मायावती ने कहा, देर से लिया गया फैसला
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर सियासी लाभ लेने के लिए लिया गया फैसला बताया.
highlights
- बीएसपी सुप्रीमो को केंद्र सरकार पर निशाना
- मेडिकल में OBC आरक्षण देर से लिया गया फैसला: मायावती
- केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा में बड़ा फैसला लिया है
लखनऊ :
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार द्वारा मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करते हुए केंद्र सरकार पर सियासी लाभ लेने के लिए लिया गया फैसला बताया. मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा- देश में सरकारी मेडिकल कालेजों की आल-इण्डिया की यूजी व पीजी सीटों में ओबीसी कोटा की घोषणा काफी देर से उठाया गया कदम. केन्द्र सरकार अगर यह फैसला पहले ही समय से ले लेती तो इनको अबतक काफी लाभ हो जाता, किन्तु अब लोगों को यह चुनावी राजनीतिक स्वार्थ हेतु लिया गया फैसला लगता है. वैसे बीएसपी बहुत पहले से सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी व ओबीसी कोटा के बैकलॉग पदों को भरने की माँग लगातार करती रही है, किन्तु केन्द्र व यूपी सहित अन्य राज्यों की भी सरकारें इन वर्गों के वास्तविक हित व कल्याण के प्रति लगातार उदासीन ही बनी हुई हैं, यह अति दुःखद है.
केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा में बड़ा फैसला किया है
केंद्र सरकार ने मेडिकल शिक्षा में बड़ा फैसला किया है. मेडिकल शिक्षा (Medical Education) की सभी स्नातक और पोस्ट ग्रेजुएट सीटों पर नामांकन के लिए केंद्रीय कोटे में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की खातिर 27 फीसद आरक्षण लागू किए जायेंगे. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ( Economically Weaker Section ) (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का एक ऐतिहासिक फैसला लिया है. आरक्षण शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से स्नातक और स्नातकोत्तर मेडिकल/डेंटल कोर्स (एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डिप्लोमा, बीडीएस, एमडीएस) के लिए प्रदान करने का फैसला लिया गया है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देंश के तहत योजना पेश की गई थी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के निर्देंश के तहत, किसी राज्य में स्थित अच्छे मेडिकल कॉलेज में अध्ययन के इच्छुक किसी भी राज्य के विद्यार्थियों को निवास स्थान की शर्त से मुक्त योग्यता आधारित अवसर उपलब्ध कराने के लिए 1986 में अखिल भारतीय कोटा (एआईक्यू) योजना पेश की गई थी.
एआईक्यू योजना में कोई आरक्षण नहीं होता था
अखिल भारतीय कोटे में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में कुल उपलब्ध यूजी सीटों में से 15 प्रतिशत और कुल उपलब्ध पीजी सीटों में से 50 प्रतिशत शामिल होती हैं. पहले, 2007 तक एआईक्यू योजना में कोई आरक्षण नहीं होता था. 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने एआईक्यू योजना में एससी के लिए 15 प्रतिशत और एसटी के लिए 7.5 प्रतिशत आरक्षण की शुरूआत की थी.
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