देश भर में चल रहा जातिगत जनगणना का मुद्दा अब तेजी पकड़ रहा है. इस मुद्दे के समर्थन में मायावती भी आगे आई हैं. उन्होंने कहा है कि वो पूरी तरह से जातिगत जनगणना के मुद्दे का समर्थन करती हैं. जहां एक ओर महाराष्ट्र और उड़ीसा इसके समर्थन में आगे आए हैं, वहीं दूसरी ओर बिहार में नीतीश कुमार ने भी इसे मंजूरी दे दी है और अब जातिगत गणना को लेकर प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की बात कर रहे हैं. इस सम्बंध में उन्होंने प्रधानमंत्री से समय भी मांगा है.
इन नेताओं ने जातिगत जनगणना (Caste Census) पर कही ये बात
जातिगत जनगणना (Caste Census) संजय पासवान (Sanjay Paswan) ने कहा कि पहले हमें यह मापदंड बनाना चाहिए कि कौन गरीब है. फिर उन्हें जाति और धर्म के आधार पर गिना जाए. यहां जातिगत जनगणना की कोई जरूरत नहीं है. चूंकि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए जनगणना है तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी जातियों को गिनने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह के विचारों का समर्थन नहीं करता. मैं केवल यह कहने की कोशिश कर रहा हूं कि हमें पहले गरीबी को परिभाषित करने के बाद गरीबों को गिनने की जरूरत है.’
पासवान ने कहा कि विपक्ष और समाजवादी दल आरक्षण वाली राजनीति करने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने ईडब्ल्यूएस (EWS) को 10 फीसदी कोटा देकर आरक्षण की राजनीति को खत्म किया है, जो लोग जातिगत आधारित जनगणना चाह रहे हैं, वे संभवत: बड़ी संख्या में ओबीसी और ईबीसी की ओर देख रहे हैं, ताकि वे आरक्षण की राजनीति में थोड़ा और शामिल हो सकें. इससे वे जातिगत राजनीति को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.
हाल ही में जनता दल (यूनाइटेड) के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जातीय जनगणना की मांग की थी. इसको लेकर पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष ललन सिंह के नेतृत्व में सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) से मुलाकात भी की थी. इस मामले में बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार भी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर सकते हैं. हालांकि उन्होंने यह साफ किया कि इस मामले से उनकी पार्टी और बीजेपी की गठबंधन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
HIGHLIGHTS
- जातिगत जनगणना का मुद्दा अब पकड़ रहा तेजी
- मुद्दे के समर्थन में आगे आई मायावती
- संजय पासवान व नीतीश कुमार ने भी दी अपनी राय