जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) प्रशासन ने गुरुवार को ब्रॉडबैंड सेवाएं आम लोगों के लिए भी बहाल कर दी है. पहले यह सेवा सरकारी दफ्तरों और कुछ महत्वपूर्ण कामों के लिए ही बहाल की गईं थी. आपको बता दें कि इसके पहले कश्मीर में गुरुवार को 2जी सेवाएं और सोशल मीडिया को भी बहाल कर दिया गया था. हालांकि, प्री-पेड सिम कार्ड पर इंटरनेट सेवा अभी बहाल नहीं की गई है. 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 (Article-370) को निष्प्रभावी बनाने के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने वहां पर इंटरनेट के उपयोग पर पाबंदी लगा दी थी. जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने वहां के हालात का जायजा लेने के बाद कश्मीर से इंटरनेट पर बैन हटाने का फैसला लिया है.
इसके पहले जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लगे प्रतिबंधों को खत्म करते हुए 2जी मोबाइल डेटा सेवा और फिक्स लाइन इंटरनेट पर 17 मार्च तक सभी वेबसाइटों तक पहुंच की इजाजत दे दी. इससे पहले सिर्फ व्हाइट लिस्टेड साइट तक ही पहुंच की इजाजत थी. 25 जनवरी को एक सप्ताह के लिए इंटरनेट सेवा बहाल की गई थी. इसके बाद समय-समय पर यह तारीख आगे बढ़ाई जाती रही है.
प्रीपेड सिम पर नहीं मिलेगी सुविधा, इंटरनेट 2जी तक सीमित
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में ब्रॉडबैंड इंटरनेट के इस्तेमाल पर बहाली का आदेश लागू हो गया है यह आदेश आम लोगों के लिए भी जारी किया गया है इसके पहले सरकारी कामकाज और कुछ जरूरी कामों के लिए ही ब्रॉडबैंड सेवाएं कश्मीर में मिल रहीं थीं आपको बता दें कि बुधवार को कश्मीर में 2जी सेवाएं भी बहाल की गईं और सोशल मीडिया भी बहाल किया गया. हालांकि ये सेवाएं अभी प्रीपेड सिम पर नहीं मिलेंगी.
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ऑर्टिकल 370 के निष्प्रभावी बनाने के बाद इंटरनेट पर लगी थी रोक
आपको बता दें कि पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर में केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर से ऑर्टिकल 370 को पूरी तरह से निष्प्रभावी बनाते हुए उसे दो केंद्र शासित राज्यों में बांट दिया था. इसके अलावा केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा इंटरनेट सर्विस, लैंडलाइन और मोबाइल फोन पर पिछले साल पांच अंगस्त को आर्टिकल 370 हटाने के ऐलान के बाद ही पाबंदी लगा दी गई थी. इस साल जनवरी महीने में पोस्ट पेड मोबाइल सर्विस से पाबंदी हटा ली गई. साथ ही अस्पाल आदि जरूरी जगहों पर कई फेज में इंटरनेट सर्विस बहाल की गई.
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इंटरनेट पाबंदी संविधान के खिलाफः सुप्रीम कोर्ट
आपको बता दें कि जब इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट पर बैन को संविधान के खिलाफ बताया था. सर्वोच्च न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन को एक सप्ताह के भीतर अपनी सभी पाबंदियों की समीक्षा करने और उन्हें अदालत के समक्ष उठाने के लिए सार्वजनिक रूप से प्रकाशित करने का निर्देश दिया था. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा था कि इंटरनेट का इस्तेमाल उपकरण के रूप में संवैधानिक संरक्षण रखता है. इसे बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी के दायरे में है और लोगों को अपने संबंधित पेशे के साथ बढ़ने में सक्षम बनाता है.