1919 में हुआ था जलियांवाला बाग कांड
ब्रिटिश संसद में ब्रिटिश प्रधान मंत्री थेरेसा मे ने बुधवार को पजाब में साल 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार कांड पर खेद व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, जलियांवाला बाग में जो हुआ, हमें उस पर गहरा अफसोस है. 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग हत्याकांड के 100 साल पूरे होने जा रहे हैं.
AFP: British Prime Minister Theresa May in British Parliament today expressed regret for #JallianwalaBaghMassacre; said, "We deeply regret what happened and the suffering caused." pic.twitter.com/F5CWvDfObg
— ANI (@ANI) April 10, 2019
भारत के पंजाब प्रान्त के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 (बैसाखी के दिन) हुआ था. रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अंग्रेज अफसर ने अकारण उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियां चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए. अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर कार्यालय में 484 शहीदों की सूची है, जबकि जलियावाला बाग में कुल 388 शहीदों की सूची है. ब्रिटिश राज के अभिलेख इस घटना में 200 लोगों के घायल होने और 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार करते है जिनमें से 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के और एक 6-सप्ताह का बच्चा था. अनाधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1000 से अधिक लोग मारे गए और 2000 से अधिक घायल हुए.
यदि किसी एक घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला था तो वह घटना यह जघन्य हत्याकाण्ड ही था. माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी.