मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेपकांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। एक तरफ सीबीआई की टीम लगातार उसके ठिकानों पर छापेमारी कर कई खुलासे कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ उसके सभी संस्थाओं का ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है और साथ ही फंडिंग पर भी रोक लगा दी गई है। ब्रजेश ठाकुर करीब 30 संस्थाओं को संचालित कर रहा था। इन सभी को राज्य सरकार और एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने ब्लैक लिस्ट कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने ब्रजेश के एनजीओ को दिए जानेवाले फंड्स पर रोक लगाई है, इसके साथ ही सभी कॉन्ट्रैक्ट को रद्द कर दिया है। बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी 6 करोड़ 74 लाख 32 हजार की राशि ब्रजेश ठाकुर सहित कई और सेंटरों को देने वाली थी।
इधर, आज यानी गुरुवार को इस केस में जुटी सीबीआई की टीम समाज कल्याण विभाग के निदेशालय पहुंची। इस दौरान टीम विभाग के डायरेक्टर राज कुमार से मुलाकात कर पूछताछ की। इसके बाद डायरेक्टर ने सीबीआई को कागजात सौंपे। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कागजात बालिका गृह से जुड़ा हुआ है।
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वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के आश्रय गृह में नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की तस्वीरों और वीडियो प्रसारित करने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति मदन बी.लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने एक शख्स द्वारा अदालत को पत्र लिखने के बाद इस घटना पर स्वत: संज्ञान लिया। इस पर न्यायालय ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, बिहार सरकार से जवाब मांगा है।
अदालत ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) से भी सहायता मांगी है।
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पीठ ने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा नाबालिग दुष्कर्म पीड़िताओं की पहचान उजागर करने पर चिंता जताई। अदालत ने (मॉर्फ) तस्वीर भी प्रकाशित नहीं करने की बात कही है।
Source : News Nation Bureau