तरुण तेजपाल की याचिका पर बंबई हाई कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा
तेजपाल पर उत्तर गोवा के एक होटल में नवंबर 2013 में एक आयोजन के दौरान अपने एक कनिष्ठ महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। वह इस समय जमानत पर हैं।
highlights
- तेजपाल पर 2013 में अपने एक कनिष्ठ महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा
- दाखिल याचिका पर हाई कोर्ट ने बिना तारीख दिए अपना आदेश सुरक्षित कर लिया
पणजी:
बंबई हाइ कोर्ट की पणजी पीठ ने तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा दाखिल एक याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। तेजपाल पर अपने कनिष्ठ सहयोगी के कथित यौन उत्पीड़न करने का आरोप है।
न्यायमूर्ति नूतन सरदेसाई ने कोई तिथि तय किए बगैर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया। इसके पहले उन्होंने विशेष लोक अभियोजक सर्वेश लोटलिकर की बहस सुनी, जिन्होंने सुनवाई शुरू करने का आग्रह किया।
बचाव पक्ष के वकील अमन लेखी और प्रमोदकुमार दूबे ने कहा कि पांच सितारा होटल में लगे सीसीटीवी कैमरों से जो फुटेज मिला है, उससे पता चलता है कि तेजपाल के खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे हैं।
वकीलों ने कहा कि पीड़िता जब तेजपाल के साथ लिफ्ट से बाहर निकलती है, तो उसके बॉडीलैंग्वेज में कोई परेशानी नहीं दिख रही थी, जबकि अपराध वहीं पर हुआ था।
तेजपाल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 341, 342, और 376 के तहत आरोप तय हैं, जबकि एक अतिरिक्त धारा 354 (बी) भी इसमें जोड़ दी गई है।
तेजपाल पर उत्तर गोवा के एक होटल में नवंबर 2013 में एक आयोजन के दौरान अपने एक कनिष्ठ महिला सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप है। उसके बाद तेजपाल को गिरफ्तार कर लिया गया। वह इस समय जमानत पर हैं।
और पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने तरुण तेजपाल के खिलाफ सुनवाई करने के लिए निचली अदालत को दी अनुमति
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