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बंबई हाईकोर्ट ने गुजरात में मार्च 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले में 11 में से तीन दोषियों को मृत्युदंड दिए जाने की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका गुरुवार को खारिज कर दी।
सीबीआई ने 2016 में कोर्ट के समक्ष पेश अपनी याचिका में इसे 'जघन्यतम अपराध' करार देते हुए निचली अदालत द्वारा तीन मुख्य दोषियों- गोविंद नई, शैलेश भट्ट और जसवंत नई को दिए गए आजीवन कारावास की जगह मृत्युदंड दिए जाने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत द्वारा पांच पुलिसकर्मियों को बरी किए जाने के फैसले को भी खारिज कर दिया और सीबीआई को उनके खिलाफ जांच के आदेश दिए।
सीबीआई ने साक्ष्यों को आधार बनाते हुए दलील दी कि तीनों मुख्य आरोपियों ने पांच महीने की गर्भवती बिलकिस बानो, उसकी मां और बहन के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया था। बानो की उम्र उस समय 19 वर्ष थी।
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सीबीआई ने बताया कि भट्ट ने बिलकिस बानो की तीन साल की बेटी को छीनकर उसका सिर पत्थर पर दे मारा था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। जांच एजेंसी ने कहा कि तीनों दोषियों को मृत्युदंड दिया जाना चाहिए, ताकि समाज को 'सख्त संदेश' दिया जा सके।
Bombay High court dismisses appeals of 12 convicts in Bilkis Bano rape and murder case, upholds their life imprisonment
— ANI (@ANI_news) May 4, 2017
क्या है मामला
यह दिल दहला देने वाली घटना तीन मार्च, 2002 को गुजरात दंगों के दौरान हुई थी। दंगा गोधरा में ट्रेन अग्निकांड के बाद भड़का था। दाहोद के पास देवगढ़-बरिया गांव में दंगाई भीड़ ने बिलकिस बानो और उनके परिवार के 10 से अधिक सदस्यों पर हमला कर दिया था। दंगाइयों ने इस दौरान कई लोगों की जान ले ली थी। हालांकि बिलकिस बानो और दो अन्य दंगाई भीड़ से जिंदा बच निकलने में कामयाब रहे थे।
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HIGHLIGHTS
- बॉम्बे हाईकोर्ट ने बिलकिस बानो केस में सुनाया फैसला
- आरोपियों की अपील को खारिज कर बरकरार रखा गया उम्रकैद की सजा
Source : News Nation Bureau