बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक बलात्कार के एक मामले में आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर और चार्जशीट को रद्द कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक घनी आबादी वाले आवासीय इलाके में रहने वाली विधवा, जिसके पहले से दो बच्चे भी हैं, के साथ कई बार बलात्कार किया गया।
न्यायमूर्ति विभा कंकनवाड़ी और न्यायमूर्ति अभय वाघवासे की खंडपीठ ने परभणी के 33 वर्षीय आरोपी सिद्धोधन एन कुरुले को राहत दी। दरअसल, आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाली महिला शादीशुदा है। मार्च 2017 में उसके पति की मौत हो गई थी।
पीड़िता ने दावा किया कि 13 जुलाई, 2017 को जब वह अपने बच्चों के साथ घर पर थी, तो आरोपी पानी पीने के बहाने उसके घर में घुस गया, चाकू दिखाकर उसे और बच्चों को जान से मारने की धमकी दी और फिर उसके साथ जबरन यौन संबंध बनाए।
महिला ने अपने बयान में कहा कि कुरूले शराब के नशे में आता था, उससे पैसे मांगता था। एक बार उसने उसके गहने चुरा लिए और जौहरी के पास गिरवी रख दिए। उसने कई बार बलात्कार किया और मारपीट भी की।
लगभग छह महीने के बाद, उसने इससे तंग आकर अपने माता-पिता से शिकायत की और बाद में नवा मोंधा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया।
कुरुले के वकील राजेंद्र एस देशमुख ने कहा कि एफआईआर देर से, झूठी और निराधार आरोपों से भरी थी, शिकायतकर्ताएक विधवा थी, जो 2 बच्चों के साथ घनी आबादी वाले इलाके में रहती थी। दोनों लंबे समय से एक-दूसरे को जानते थे।
उन्होंने कहा कि जौहरी के बयानों से पता चलता है कि उसके कहने पर गहने गिरवी रख दिए गए थे। उसके माता-पिता अलग रहते थे और कथित घटनाओं से अनजान थे, क्योंकि वह कभी उनसे मिलने नहीं गई और वे उसे देखने नहीं आए।
अपर लोक अभियोजक एम.एम. नेर्लिकर ने तर्क दिया कि पीड़िता के साथ कई बार बलात्कार किया गया और चाकू की नोंक पर आरोपी ने जबरन उसके गहने छीन लिए।
पीड़िता के वकील पी. एन. कलानी ने इसी तरह की दलील दी और कहा कि जांच पूरी हो गई है, चार्जशीट दायर की गई है, इसलिए कुरुले को मुकदमे का सामना करना चाहिए।
हालांकि, पीठ ने कहा कि विधवा द्वारा छह महीने के बाद एफआईआर दर्ज की गई थी, और अपने पूरक बयान में, उसने बताया था कि कैसे कुरुले नियमित रूप से उसके घर आता था और कभी-कभी उसकी मदद भी करता था, उसने उसे अपना एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। ऐसे में यह मानने की गुंजाइश है कि उनके बीच लंबे समय से संबंध थे।
उन्होंने कहा, आरोपी और महिला के बीच काफी पहले से जान पहचान थी। ऐसे में यह स्वीकार करना मुश्किल है कि घनी आबादी वाले रिहायशी इलाके में रहने वाली दो बच्चों की विधवा का एक बार नहीं बल्कि कई मौकों पर जबरन बलात्कार किया जा सकता है।
एफआईआर को रद्द करते हुए, न्यायाधीशों ने कहा, आवेदक को इस तरह के आरोपों का सामना करने में न सिर्फ कठिनाई होगी बल्कि उसके साथ बड़ा अन्याय भी होगा।
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Source : IANS