गोवा में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल द्वारा उनके खिलाफ दायर दुष्कर्म मामले की सुनवाई बंद कमरे में करने की अपील वाली याचिका को ठुकरा दिया।
तेजपाल के वकील ने न्यायमूर्ति रेवती डेरे और न्यायमूर्ति एम.एस. जावलकर की पीठ के समक्ष राज्य सरकार द्वारा दायर उस अपील को भी चुनौती दी, जो इस साल मई में एक स्थानीय ट्रायल कोर्ट द्वारा तेजपाल को दुष्कर्म के आरोपों से बरी किए जाने के खिलाफ दायर की गई है।
बचाव पक्ष ने बंद कमरे में अपील की कार्यवाही के लिए तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट में भी मुकदमे की सुनवाई बंद कमरे में की गई थी। हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस स्तर पर उनकी याचिका पर विचार करने की इच्छुक नहीं है।
राज्य सरकार की अपील की सुनवाई को चुनौती देने वाली तेजपाल की याचिका पर सुनवाई 16 नवंबर को होने की उम्मीद है।
तेजपाल के वकील अमित देसाई ने बुधवार को अदालत से कहा, हमने इस मुद्दे को पूरी तरह से उठाया है कि राज्य सरकार की अपील की सुनवाई दोषपूर्ण है, 378 सीआरपीसी की आवश्यकता के अनुरूप नहीं है।
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अभियोजन पक्ष की तरफ से पेश हुए। उन्होंने देसाई के दावे को यह कहते हुए चुनौती दी कि वह अगली सुनवाई के दिन 16 नवंबर को एक विस्तृत प्रतिक्रिया प्रस्तुत करेंगे।
तहलका में एक कनिष्ठ सहयोगी ने तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक फाइव स्टार रिजॉर्ट में कथित तौर पर दो बार दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था।
इस साल मई में गोवा की एक अदालत ने तेजपाल को भारतीय दंड की धारा 376 (दुष्कर्म), 341 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना) 354ए (यौन उत्पीड़न) और 354बी (आपराधिक हमला) के तहत लगाए गए सभी आरोपों से बरी कर दिया था। इसके बाद गोवा सरकार ने तेजपाल को बरी किए जाने के खिलाफ बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष अपील दायर की थी।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Source : IANS