पिछले लंबे समय से चल रहे बोडोलैंड विवाद पर पूर्ण विराम लगने वाला है. दरअसल मोदी सरकार और बोडो संगठनों के बीच एक समझौता हुआ है जिसके तहत 0पिछले लंबे समय से चल रही बोडोलैंड की मांग पर रोक लगेगी. दरअसल असम में लंबे समय से एक अलग बोडोलैंड की मांग चल रही थी लेकिन अब इसकी मांग करने वाले चारों गुटों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला कर लिया है.
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सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में असम सरकार के साथ बोडो संगठनों ने समझौता किया है जिसके तहत अब बोडोलैंड की मांग नहीं की जाएगी. नेशनल डेमोक्रेटिक फेडरेशन ऑफ बोडोलैंड (NDFB) के नेतृत्व में पूर्वोत्तर में अलग राज्य की मांग की जा रही थी लेकिन अब इस पर रोक लगाने का फैसला लिया गया है.
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समझौते के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आज केंद्र, असम सरकार और बोडो प्रतिनिधियों ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता असम के लिए और बोडो लोगों के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा, 130 हथियारों के साथ 1550 कैडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे. गृह मंत्री के रूप में, मैं सभी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी वादे समयबद्ध तरीके से पूरे होंगे. वहीं इस मसले पर दिल्ली में असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है कि बोडो समाज के सभी हितधारकों ने असम की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.
बता दें, साल 1987 में इसको लेकर चल रहा आंदोलन हिंसक बन गया था जिसमें 2823 लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा 949 बोडो काडर के लोग और 239 सुरक्षाबल भी मारे गए.