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ब्लैक फंगस की दवाई की किल्लत होगी दूर, दवा बनाने के लिए 5 कंपनियों को मिली मंजूरी

फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए तीन दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी गई है. ब्लैक फंगस के नाम से चर्चित म्यूकोरमाइकोसिस नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है.

फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए तीन दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी गई है. ब्लैक फंगस के नाम से चर्चित म्यूकोरमाइकोसिस नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है.

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Vineeta Mandal
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Black Fungus ( Photo Credit : फोटो-@mansukhmandviya)

कोरोना महामारी के बीच अब देश में ब्लैक फंगस ने कहर बरपाना शुरू कर दिया है. बढ़ते ब्लैक फंगस के मामलों के बीच इसकी दवा की कमी भी देखने को मिल रही है. फंगस के इलाज में असरदार दवा एम्फोटेरिसीन-बी की कमी सामने आने के बाद अब इसके उत्पादन के लिए तीन दिन में 5 कंपनियों को मंजूरी दी गई है. ब्लैक फंगस के नाम से चर्चित म्यूकोरमाइकोसिस नाक, आंख और कभी-कभी दिमाग को भी नुकसान पहुंचाता है.  केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी. मंडाविया ने ट्विटर पर लिखा, 'ब्लैक फंगस (म्यूकोरमाइकोसिस) के इलाज में उपयोगी एम्फोटेरिसीन-बी की कमी का समाधान जल्द किया जाएगा. तीन दिनों के भीतर 5 और दवा कंपनियों को भारत में औषधि बनाने की मंजूरी दी गई है. ये कंपनियां मौजूदा 6 दवा कंपनियों के अलावा हैं.' रसायन और उर्वरक राज्यमंत्री मंडाविया ने यह भी कहा कि मौजूदा दवा कंपनियों ने औषधि का उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है.

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उन्होंने कहा, 'भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसीन-बी की 6 लाख खुराक के आयात के लिए भी ऑर्डर दिए हैं. हम स्थिति सामान्य करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं.' मंत्री ने कहा कि एमक्योर फार्मास्युटिकल्स, नैटको फार्मा, गुफिक बायोसाइंस, एलेम्बिक फार्मास्युटिकल्स और लाइका फार्मास्युटिकल्स को हाल के दिनों में एम्फोटेरिसीन-बी के उत्पादन के लिए मंजूरी मिली है. उन्होंने कहा कि माइलान, बीडीआर फार्मा, सन फार्मा और सिप्ला जैसी कंपनियां पहले से ही इस दवा के उत्पादन में लगी हुई हैं.

और पढ़ें: ब्लैक फंगस कैसे होता है, कोरोना से क्या संबंध है और इससे कैसे बचा जा सकता है....जानिए सब कुछ

बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 के तहत म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस को एक उल्लेखनीय बीमारी घोषित करने की अपील की है. मंत्रालय ने यह भी सलाह दी है कि सभी सरकारी और निजी स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ मेडिकल कॉलेजों को म्यूकोर्मिकोसिस की जांच, निदान और प्रबंधन पर इसके और आईसीएमआर द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए.

मंत्रालय ने कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फंगस एक फंगल संक्रमण के कारण होने वाली जटिलता है. लोग वातावरण में कवक बीजाणुओं के संपर्क में आने से म्यूकोर्मिकोसिस पकड़ लेते हैं. एक कट, खरोंच, जलन, या अन्य प्रकार के त्वचा आघात के माध्यम से त्वचा में प्रवेश करने के बाद त्वचा पर म्यूकोर्मिकोसिस भी विकसित हो सकता है. मंत्रालय के मुताबिक, इस बीमारी का पता उन मरीजों में लगाया जा रहा है जो कोविड-19 से ठीक हो चुके हैं या ठीक हो चुके हैं.

तेलंगाना और राजस्थान पहले ही म्यूकोर्मिकोसिस को महामारी घोषित कर चुके हैं. कर्नाटक, उत्तराखंड, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और बिहार सहित देश के विभिन्न हिस्सों में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं.

म्यूकोर्मिकोसिस, जो मुख्य रूप से कोविड-19 से उबरने वाले लोगों को प्रभावित कर रहा है, ने राष्ट्रीय राजधानी में भी कई लोगों को संक्रमित किया है, क्योंकि यह कोरोनोवायरस के उपचार में स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल के कारण होता है. हरियाणा सरकार ने 18 मई को 'हरियाणा महामारी रोग (म्यूकोर्मिकोसिस) विनियम, 2021' नामक नियम भी बनाए.

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