भाकियू नेता ने दिल्ली पुलिस को पंजाब में न घुसने की दी चेतावनी
उग्राहन ने कहा कि यह रैली ऐतिहासिक थी, क्योंकि भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने साथ मिलकर इसका आयोजन किया था. एकजुटता का संकेत देने के लिए पीला दुपट्टा ओढ़े हजारों महिलाओं ने भी भाग लिया.
highlights
- एकजुटता का संकेत देने के लिए पीला दुपट्टा ओढ़े हजारों महिलाओं ने भी भाग लिया.
- सूफी गायक कंवर गरेवाल ने सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया.
- आयोजकों ने दावा किया कि रैली में दो लाख से अधिक किसानों ने भाग लिया.
नई दिल्ली :
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह उग्राहन ने रविवार को दिल्ली पुलिस को लाल किला हिंसा के आरोपियों को गिरफ्तार करने के उद्देश्य से पंजाब में प्रवेश करने के लिए ललकारा. बरनाला शहर में विशेष रूप से पंजाब के मालवा क्षेत्र से आए किसानों और खेतिहर मजदूरों के शक्ति-प्रदर्शन के बाद उन्होंने कहा कि यह इतिहास में पहली बार है जब फासीवादी व सांप्रदायिक सरकार को चुनौती देने के लिए भारत में इस तरह के बढ़े पैमाने का विरोध किया गया है. 'महा किसान-मजदूर रैली' में हजारों किसानों और खेतिहर मजदूरों ने केंद्र के तीन नए विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध किया.
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सूफी गायक कंवर गरेवाल ने सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया
उग्राहन ने कहा कि यह रैली ऐतिहासिक थी, क्योंकि भारतीय किसान यूनियन (एकता-उग्राहन) और पंजाब खेत मजदूर यूनियन ने साथ मिलकर इसका आयोजन किया था. एकजुटता का संकेत देने के लिए पीला दुपट्टा ओढ़े हजारों महिलाओं ने भी भाग लिया. सूफी गायक कंवर गरेवाल ने सभा को मंत्रमुग्ध कर दिया. आयोजकों ने दावा किया कि रैली में दो लाख से अधिक किसानों ने भाग लिया.
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मौजूदा किसान आंदोलन का तत्काल समाधान सुनिश्चित करें
उग्राहन के अलावा, बलबीर सिंह राजेवाल, रुल्लू सिंह मनसा और सुखदेव सिंह सहित संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने भी रैली में भाग लिया. गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के कारण व्यवधान के परिणामस्वरूप राज्य की कृषि के लिए खतरे पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया था कि वे मौजूदा किसान आंदोलन का तत्काल समाधान सुनिश्चित करें.
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'अन्नदाता' के प्रति पूर्ण सम्मान का आह्वान करते हुए मुख्यमंत्री ने नीति आयोग की आभासी बैठक में अपने भाषण के माध्यम से अपनी सरकार के रुख को दोहराया कि कृषि राज्य का विषय है और संविधान में निहित 'को-ऑपेटिव फेडरलिज्म' की सच्ची भावना के अनुरूप इस पर कानून बनाने का जिम्मा राज्यों पर छोड़ देना चाहिए.
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