जनसंख्या मुद्दा उठाने के पीछे भाजपा का मकसद 'समुदाय विशेष' को निशाना बनाना : शशि थरूर
शशि थरूर ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य भाजपा शासित राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून उठाने के पीछे की भाजपा की मंशा राजनीतिक है और इसका मकसद एक ‘समुदाय विशेष’ को निशाना बनाना है.
highlights
- 'समुदाय विशेष' को निशाना बनाना
- उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का मसौदा
- मानसून सत्र में हो सकता है चर्चा
दिल्ली:
जनसंख्या नियंत्रण कानून (Population Control Bill) पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाया है. शशि थरूर ने कहा है कि उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य भाजपा शासित राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून उठाने के पीछे की भाजपा की मंशा राजनीतिक है और इसका मकसद एक ‘समुदाय विशेष’ को निशाना बनाना है. शशि थरूर ने कहा कि जनसंख्या को लेकर बहस नहीं होनी चाहिए. यह पूरी तरह से अनुपयुक्त है. उन्होंने कहा कि अगले 20 वर्षों में भारत के लिए बड़ी चुनौती यह है कि उसे इतने बड़े स्तर पर बुजुर्ग आबादी वाली स्थिति का सामना करने के लिए तैयार होना.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एक ‘समुदाय विशेष’ को निशाना बनाने के लिये सुनियोजित मकसद से इस मुद्दे को उठा रही है. थरूर के मुताबिक, ‘यह कोई इत्तेफाक नहीं है कि उत्तर प्रदेश, असम और लक्षद्वीप में आबादी कम करने की बात हो रही है, जहां हर कोई जानता है कि उनका इरादा किस ओर है.’ उत्तर प्रदेश और असम में जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिए जाने से जुड़े सवाल पर थरूर ने कहा, ‘हमारी राजनीतिक व्यवस्था में हिंदुत्व से जुड़े तत्वों ने आबादी के मुद्दे पर अध्ययन नहीं किया है. उनका मकसद विशुद्ध रूप से राजनीतिक और सांप्रदायिक है.’
थरूर ने यह टिप्पणी उस वक्त है जब हाल ही में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का एक मसौदा सामने रखा गया है, जिसमें प्रावधान है कि जिनके दो बच्चों से अधिक होंगे उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा और दो बच्चों की नीति का अनुसरण करने वालों को लाभ दिया जाएगा. भाजपा के कुछ सांसद संसद के मॉनसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गैर सरकारी विधेयक पेश करने की तैयारी में हैं.
थरूर ने मॉनसून सत्र में कांग्रेस और विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह सरकार इतनी ज्यादा विफल रही है, ‘हमारे पास जनहित में उठाने के लिये कई मुद्दे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कोविड के त्रासदीपूर्ण कुंप्रबंधन, विशेषकर खामियों से भरी टीकाकरण नीति, किसान आंदोलन को हल करने में विफलता, अर्थव्यवस्था में गिरावट, जीडीपी विकास दर में गिरावट, कई ऐसे मुद्दे हैं.’
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