विजय रुपाणी दोबारा बने गुजरात के सीएम, जानें उनके राजनीतिक सफर के बारे में

विजय रुपाणी को बीजेपी ने दोबारा गुजरात की गद्दी सौंपी है। गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद शुक्रवार को हुई पार्टी की विधायक दल की बैठक में रुपाणी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया।

विजय रुपाणी को बीजेपी ने दोबारा गुजरात की गद्दी सौंपी है। गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद शुक्रवार को हुई पार्टी की विधायक दल की बैठक में रुपाणी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया।

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pradeep tripathi
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विजय रुपाणी दोबारा बने गुजरात के सीएम, जानें उनके राजनीतिक सफर के बारे में

गुजरात में कोई बदलाव न करते हुए बीजेपी ने राज्य की बागडोर दोबारा विजय रुपाणी को सौंपी है। गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम आने के बाद शुक्रवार को हुई पार्टी की विधायक दल की बैठक में रुपाणी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाने का फैसला लिया गया।

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बीजेपी संसदीय दल की तरफ से गुजरात में पर्यवेक्षक के तौर पर भेजे गए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस बात की घोषणा की।

हालांकि माना जा रहा था कि राज्य में सीटें कम आने के कारण मुख्यमंत्री को बदला जा सकता है लेकिन पार्टी ने रुपाणी को ही राज्य का सीएम बनाकर जनता में संदेश देना चाहती है कि पार्टी राज्य में विकास के काम अच्छे तरीके से कर रही है।

वहीं नितिन पटेल को डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंपी गई है ताकि राज्य में बीजेपी से नाराज चल रहे पाटीदारों को बीजेपी के पाले में लाया जा सके।

रुपाणी का सफर:

* विजय रुपाणी ने गुजरात के 16वें मुख्यमंत्री के तौर पर 7 अगस्त, 2016 को शपथ लिया था।

* विजय रुपाणी का जन्म 2 अगस्त, 1956 को जैन परिवार में म्यांमार में हुआ था। उन्होंने आर्ट्स में ग्रैजुएशन किया है साथ ही उनके पास एलएलबी की डिग्री भी है। 7 अगस्त 2016 को उन्हें राज्य की कमान सौंपी गई थी।

रुपाणी को प्रधानमंत्री मोदी का वरदहस्त मिला हुआ है और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के भी वो काफी करीबी हैं।

रुपाणी मूलतः राजकोट के हैं और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता भी रहे हैं।

पिछले कुछ सालों में राज्य में ओबीसी और दलितों की राजनीति तेज हुई है ऐसे में उन्हें दोबारा सीएम बनाया जाना बीजेपी के लिये खतरनाक साबित हो सकता है।

छात्र जीवन से ही विजय रूपाणी राजनीति में रहे हैं और स्टूडेंट विंग एबीवीपी के कार्यकर्ता भी रहे।

रुपाणी 1978-1981 तक वे आरएसएस के प्रचारक रहे और कहा जाता है कि इमरजेंसी के दौरान 11 महीने जेल में भी रहे थे।

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* 1987 में राजकोट नगर निगम का चुनाव जीता था और 1998 में पार्टी महासचिव भी बने थे।

साल 2006 से 2012 तक वे राज्यसभा के सदस्‍य भी रहे।

नरेंद्र मोदी का कार्यकाल के दौरान वो गुजरात फाइनांस बोर्ड के चेयरमैन रहे और 2014 में वो पहली बार विधायक बने।

आनंनदीबेन पटेल सरकार के दौरान वो राज्य के ट्रांसपोर्ट, जल आपूर्ति, लेबर और राजगार मंत्री रहे।

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Source : News Nation Bureau

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