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भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा जून के पहले सप्ताह तक कर सकते हैं नई टीम का गठन

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जो कि इसी साल जनवरी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, अब अपनी नई टीम पर काम करना शुरू कर दिया है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पूरी संभावना है कि इस महीने के अंतिम में या जून के पहले सप्ताह तक नई राष्ट्रीय टी

Updated on: 21 May 2020, 05:05 PM

नई दिल्ली:

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को अध्यक्ष बने चार महीने से ज्यादा का व़क्त बीत गया है, लेकिन अब तक नड्डा अपनी टीम फाइनल नहीं कर पाये हैं. लेकिन अब खबर है कि जेपी नड्डा अपनी टीम का एलान इस महीने के आखिरी में या जून के पहले सप्ताह में कर देंगे. पहले चुनावी व्यस्तता और फिर कोरोना की वजह से अभी तक संगठन का विस्तार नहीं हो पाया था, लेकिन अब इसकी तैयारी चल रही है. राज्य स्तर पर संगठन बनाने का काम दिल्ली जैसे राज्यों को छोड़कर लगभग पूरा हो चुका है.

सूत्रों के मुताबिक, अब पार्टी के केंद्रीय संगठन में भी फेरबदल की तैयारियां शुरू हो गई हैं. बीजेपी कार्यालय में सीमित स्टाफ के साथ नियमित कामकाज कुछ हद तक शुरू हो गया है. राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा जो कि इसी साल जनवरी में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने थे, अब अपनी नई टीम पर काम करना शुरू कर दिया है. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, पूरी संभावना है कि इस महीने के अंतिम में या जून के पहले सप्ताह तक नई राष्ट्रीय टीम की घोषणा कर दी जाये.

सूत्रों के मुताबिक, नड्डा की नई टीम नए कलेवर वाली होगी. सभी वर्गो और सभी राज्यों को उचित स्थान दिया जाएगा. गौरतलब है कि नड्डा ने नई टीम के लिए राज्यों को भेजे एक सर्कुलर में कहा था कि युवाओं, महिलाओं और नए चेहरों को मौका देने पर जोर होना चाहिए. सर्कुलर में कहा गया था कि इन वर्गो में समान अनुपात से लोगों को मौका दिया जाए. इसके लिए राज्यों से उन्होंने वर्ग के हिसाब से सूची भी मंगवा ली थी. नड्डा की नई टीम नए और पुराने कद्दावर अनुभवी नेताओं की मिलीजुली टीम होगी. जिन महासचिवों के पास चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी है उनको नड्डा नहीं बदलेंगे. लिहाजा बिहार में प्रभारी महामंत्री भूपेंद्र यादव और पश्चिम बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय नड्डा की नई टीम में भी शामिल रहेंगे.

चुनाव वाले राज्य जैसे बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, गुजरात और हिमाचल प्रदेश समेत सात राज्यों में आने वाले समय में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में नड्डा इन राज्यों के कुछ नए चेहरों को राष्ट्रीय टीम में मौका देंगे. इसके अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड, दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुछ पुराने नेताओं को नई राष्ट्रीय टीम में जगह मिल सकती है. जानकारी के मुताबिक नड्डा पार्टी के पूरी टीम की घोषण करेंगे, जिसमें महासचिव, सचिव, उपाध्यक्ष, मोर्चा के अध्यक्ष और मीडिया टीम समेत बाकी विभागों के प्रभारी होंगे. सबसे ज्यादा नजर महासचिवों की टीम और पार्टी की नीति निर्धारण इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड पर रहेगी. महासचिवों में कुछ ही बने रहेंगे. बाकी जगहों पर नए चेहरों को मौका मिल सकता है.

वहीं पार्लियामेंट्री बोर्ड में कई जगह खाली पड़े हैं. अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार के निधन के बाद ये तीनों जगह पहले से खाली हैं. इसके अलावा वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने के बाद उनकी भी जगह पार्लियामेंट्री बोर्ड में खाली है. महिला सदस्य के तौर पर सुषमा स्वराज की जगह किसी तेज तर्रार महिला नेता को इस टीम में शामिल किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का नाम इस रेस में आगे है. इसके अलावा कुछ पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी पार्लियामेंट्री बोर्ड में शामिल किया जा सकता है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले से ही बोर्ड में हैं. साथ ही राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को पार्टी ने पहले ही उपाध्यक्ष बना दिया था. ऐसे में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस संसदीय बोर्ड के सदस्य बनाये जा सकते हैं. कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बोर्ड में शामिल किया जा सकता है. गौरतलब है कि पहले कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव और फिर कोरोना की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा अपनी टीम नहीं बना पा रहे थे. लेकिन अब वो कोरोना राहत के लिए देश भर के कार्यकर्ताओं से बातचीत करने के साथ साथ संगठन विस्तार को भी अंतिम रूप दे रहे हैं.

नड्डा को अपनी टीम का गठन आगे आने वाले समय में राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर करना होगा. एक तरफ नड्डा के सामने भाजपा शासित राज्यों में पार्टी की सत्ता को बरकरार रखने की चुनौती है तो दूसरी तरफ विपक्ष से राज्यों को छीनने की बड़ी चुनौती है. जेपी नड्डा के सामने 2022 उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव भी किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है. ऐसे में संगठन फेरबदल में उत्तर प्रदेश का खास ख्याल रखा जाएगा. यूपी के कोटे से दो से तीन नेताओं को नेशनल सेक्रेटरी बनाया जा सकता हैं.