तीन राज्यों में कांग्रेस से हार का बदला होगा बीजेपी का मिशन K ?
बीच में इक्का-दुक्का जगह हार हुई भी तो वो बेमानी सी ही जान पड़ी लेकिन 2019 के फाइनल से पहले हुए विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल ने बीजेपी को जबरदस्त झटका दिया.
नई दिल्ली:
साल 2014 के प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी जब से केंद्र की सत्ता में आई है तब से उसे जीतने की आदत सी पड़ गई है. चुनाव-दर-चुनाव जीत ने बीजेपी की इस आदत को एक नशा सा बना दिया है. बीजेपी के रणनीतिकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जुगलंबदी जीत का दूसरा नाम बन गई. बीच में इक्का-दुक्का जगह हार हुई भी तो वो बेमानी सी ही जान पड़ी लेकिन 2019 के फाइनल से पहले हुए विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल ने बीजेपी को जबरदस्त झटका दिया.
5-0 की हार, उसमें भी हिंदी पट्टी के तीन बड़े राज्यों में करारी शिकस्त ने एक झटके में बीजेपी के होश उड़ा दिए. हालांकि बीजेपी के रणनीतिकार बाज़ी पलटने में माहिर हैं. ऐसा वो पहले भी कर चुके हैं और कर्नाटक में जो नया नाटक शुरू हुआ है उसे देखकर लगता है कि तीन राज्यों में कांग्रेस से हार का बदला लेने के लिए बीजेपी ने शुरू कर दिया है अपना प्लान के..यानी मिशन कर्नाटक.
कर्नाटक में नए साल में बीजेपी सरकार?
नए साल पर हर किसी के पास जश्न का अपना प्लान है...लेकिन कर्नाटक बीजेपी के एक बड़े विधायक के दावे को सच मानें तो कर्नाटक में बीजेपी का न्यू ईयर प्लान कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है. बुधवार को बीजेपी विधायक उमेश कट्टी ने दावा किया कि कांग्रेस और जेडीएस के करीब 15 नाराज़ विधायक उनके संपर्क में हैं.
कट्टी ने इन नाराज़ विधायकों के नाम का खुलासा नहीं किया है. उनका कहना है कि वक्त आने पर मीडिया के सामने सभी के नाम बता देंगे. कट्टी ने सत्ताधारी दल कांग्रेस और जेडीएस में किसी तोड़फोड़ की बात से भी इनकार किया है, लेकिन उनका कहना है कि अगर नाराज़ विधायक बीजेपी में आते हैं तो पार्टी में उनका स्वागत है.
बीजेपी इस सीनियर एमएलए ने दावा किया है कि अगर 15 नाराज़ विधायक बीजेपी के साथ मिलते हैं तो बीजेपी कर्नाटक में अगले हफ्ते सरकार बना सकती है. हालांकि कांग्रेस ने इसे बीजेपी का दिवास्वप्न बताया, लेकिन बीजेपी विधायक कट्टी का दावा है कि ये नाराज़ विधायक हफ्ते-10 दिन में अपनी-अपनी पार्टी से इस्तीफा देने को तैयार बैठे हैं.
दक्षिण के द्वार कर्नाटक में हारी बाज़ी जीतेगी बीजेपी?
कर्नाटक बीजेपी के लिए बेहद अहम राज्य है. दक्षिण का ये इकलौता राज्य है जहां से बीजेपी ने दक्षिण के लिए अपना रास्ता बनाया है. कर्नाटक में बीजेपी पहले भी राज कर चुकी है और साल 2018 के चुनाव नतीजों के बाद भी मुख्यमंत्री पद के तौर पर पहली शपथ बीजेपी के बीएस येदियुरप्पा ने ही ली थी. लेकिन आंकड़ों के खेल में बीजेपी पिछड़ गई और बहुमत साबित करने से पहले ही येदियुरप्पा को इस्तीफा देना पड़ा था.
बीजेपी इस हारी हुई बाज़ी को फिर से जीतने की कोशिश में है. 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी 104, कांग्रेस 78 और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं. बहुमत के आंकड़े से महज़ 9 सीट दूर बीजेपी सूबे में तोला-माशा की इस जंग पर बारीक़ नज़र बनाए हुए है.
चुनाव में कांग्रेस ने अपनी सत्ता गंवाई तो बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए फौरन तीसरे नंबर की पार्टी वाले जेडीएस के नेता को भी अपना मुख्यमंत्री कबूल कर लिया लेकिन जिन हालात में ये गठबंधन हुआ, वो पहले दिन से ही सवालों के घेरे में रहा है.
हालांकि गठबंधन सरकार बनाने के बाद भी राज्य में कांग्रेस और जेडीएस की परफॉर्मेंस बेहतर हुई. कर्नाटक में 3 लोकसभा और 2 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बेल्लारी और जामखंडी में कांग्रेस ने जीत दर्ज की है.
वहीं मांड्या लोकसभा और रामनगर में जेडीएस ने जीत दर्ज की. बेल्लारी सीट कांग्रेस ने बीजेपी से छीन ली. लेकिन अपनी-अपनी ताकत बढ़ाती गठबंधन की दोनों पार्टियां एक-दूसरे की ताकत नहीं बन सकीं...रही सही कसर मंत्रिमंडल विस्तार ने पूरी कर दी. जिन मंत्रियों को हटाया और बदला गया उनके बागी तेवर अब सत्ताधारी गठबंधन के लिए मुसीबत बन सकते हैं.
कर्नाटक का नया नाटक
कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के बीच मौके-बे-मौके तल्खियां सामने आती रही हैं. खुद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी तक कांग्रेस के दबाव और उसके साथ तल्ख रिश्तों को मीडिया के सामने बयां कर चुके हैं. ये कहावत तो सारी दुनिया जानती है कि धुआं वहीं उठता है, जहां थोड़ी बहुत आग होती है. लेकिन सियासत में तो धुआं बाहर आने का मतलब है कि नीचे की पूरी धरती सुलग चुकी है.
पिछले 2 दिन में कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के रिश्तों की इस सुलगती ज़मीन का सारा धुआं सामने आने लगा है. बुधवार को ही कुमारस्वामी राज्य की ज़रूरत के सिलसिले में दिल्ली पहुंचे और केंद्रीय मंत्रियों से मिले.
कुमारस्वामी की लिस्ट में नितिन गडकरी, सुरेश प्रभु और पीयूष गोयल के नाम थे. इन केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर उनकी क्या बात हुई इसका खुलासा तो नहीं हुआ है लेकिन ऐन बुधवार को ही कर्नाटक से सीनियर बीजेपी एमएलए के सुर इशारा कर रहे हैं कि कर्नाटक में कुछ तो खिचड़ी पक रही है.
बीजेपी, कांग्रेस-जेडीएस की आपसी तकरार का फायदा उठा सकती है. अगर ऐसा होता है तो कम से कम कर्नाटक में बीजेपी पर ये आरोप भी नहीं लगेगा कि उसने सत्ता के लिए कोई तोड़फोड़ की है. बीजेपी को अगर कर्नाटक में सरकार बनाने का मौका मिल जाता है तो फिर 2019 की लोकसभा की जंग में उसे नया हथियार मिल जाएगा.
एक ओर उसके पांव दक्षिण में फिर मज़बूती से जम जाएंगे तो दूसरी ओर कांग्रेस पर उसे मनोवैज्ञानिक बढ़त भी मिल जाएगी. कांग्रेस के हाथ से अगर कर्नाटक निकलता है तो गठबंधन की राजनीति में बीजेपी, कांग्रेस को घेर सकती है. छोटे दलो को सम्मान न मिलने के जिन आरोपों को लेकर कांग्रेस अबतक बीजेपी को घेरती रही है, बीजेपी, कर्नाटक के मसले पर कांग्रेस को भी उसी कठघरे में खड़ा कर सकती है.
यानी कर्नाटक बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम हो गया है. नए साल पर सियासत का बड़ा तोहफा और बड़ा झटका दोनों ही कर्नाटक से मिल सकते हैं.
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Maa Laxmi Shubh Sanket: अगर आपको मिलते हैं ये 6 संकेत तो समझें मां लक्ष्मी का होने वाला है आगमन
-
Premanand Ji Maharaj : प्रेमानंद जी महाराज के इन विचारों से जीवन में आएगा बदलाव, मिलेगी कामयाबी
-
Aaj Ka Panchang 29 April 2024: क्या है 29 अप्रैल 2024 का पंचांग, जानें शुभ-अशुभ मुहूर्त और राहु काल का समय
-
Arthik Weekly Rashifal: इस हफ्ते इन राशियों पर मां लक्ष्मी रहेंगी मेहरबान, खूब कमाएंगे पैसा