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भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में

कार्यकारणी बैठक में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर चिंतन होना है, जहां तक गुजरात की बात हैं तो यह प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का गढ़ है.

Updated on: 02 Jun 2022, 09:30 AM

highlights

  • दक्षिण भारत में बीजेपी का आधार बढ़ाने के लिए बैठक स्थल का चयन
  • भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में
  • हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभा चुनाव की बनेगी ठोस रणनीति

नई दिल्ली:

भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारणी की बैठक 2 और 3 जुलाई को हैदराबाद में होगी. उत्तर प्रदेश समेत 4 राज्यों की विधानसभा के बाद यह कार्यकारणी बैठक बेहद अहम मानी जा रही है. बैठक में साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर रणनीति बनाने की भी चर्चा होनी है. बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारणी बैठक बेहद अहम होती है. कार्यकारणी के बैठक में पार्टी अपने बड़े निर्णय लेती है. इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत बीजेपी के कई दिग्गज शामिल होंगे. 

गुजरात और हिमाचल प्रदेश में चुनाव पर चिंतन 
कार्यकारणी बैठक में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव को लेकर चिंतन होना है, जहां तक गुजरात की बात हैं तो यह प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का गढ़ है. बीजेपी किसी भी स्थिति में एक बार फिर गुजरात में विजय पताका फहराना चाहेगी. 29 साल से जो गुजरात में जीत चल रही है उसे आगे बरकरार रखने की कोशिश होगी. इसके लिए इस बैठक में रणनीति तैयार होगी. हिमाचल प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि पहाड़ हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन कर देता है. मगर इस बार स्थिति थोड़ी अलग है. सबसे बड़ी बात विपक्ष के सबसे बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के जाने के बाद से कांग्रेस मजबूत स्थिति में नहीं दिखाई दे रही है. वहीं आम आदमी पार्टी के आने से बीजेपी की थोड़ी चिंता जरूर बड़ी है, लेकिन फिलहाल सबसे मजबूत स्थिति में बीजेपी है. ऐसे में हिमाचल को लेकर भी बैठक में चर्चा होगी. 

दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करना 
हैदराबाद को चुनने की वजह की अब पार्टी को दक्षिण भारत में मजबूती देना भी है. तेलगांना में 2023 में चुनाव होने हैं. कांग्रेस तेलगांना में पहले की तरह मजबूत स्थिति में नही हैं. ऐसे में बीजेपी की तरफ वहां कार्यकारणी बैठक करना चुनाव से पहले माहौल तैयार करना है, ताकि जनता को टीआरएस का एक मजबूत विकल्प दिया जाए. बैठक में इसको लेकर भी चिंतन हो सकता है.