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यूपी चुनाव के बाद BJP की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में 'लुक ईस्ट' पर बनेगी रणनीति

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के भुवनेश्वर में बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने जा रही है।

Updated on: 15 Apr 2017, 03:45 PM

highlights

  • उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में सरकार बनाने के बाद ओडिशा के भुवनेश्वर में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी शुरू
  • पार्टी की बैठक में उन राज्यों के लिए रणनीति बनाए जाएगी जहां बीजेपी अभी तक पारंपरिक रूप से कमजोर रही है

New Delhi:

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के भुवनेश्वर में बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने जा रही है। उत्तर प्रदेश में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद अब पार्टी पूर्वी भारत के राज्यों में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति बनाने में जुट गई है, जहां वह पारंपरिक रूप से बेहद कमजोर रही है।

हालांकि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के बाद बीजेपी आत्मविश्वास से लबरेज हैं और पार्टी ने इन चुनावों में मिली जीत को प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता करार दिया है, जिस पर एनडीए की बैठक में भी मुहर लग चुकी है।

एनडीए की बैठक में 2019 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में लड़ने की घोषणा की जा चुकी है।

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पार्टी अब इसी मोदी लहर को ओडिशा में भुनाने की रणनीति में जुट गई है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस राज्य की 147 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को महज 10 सीटें मिली थी लेकिन पंचायत चुनाव के नतीजों ने पार्टी की उम्मीदों को जिंदा कर दिया है।

ओडिशा के पंचायत चुनाव में बीजेपी को पिछले बार के मुकाबले 850 फीसद की बढ़त हासिल हुई है। बीजेपी पंचायत चुनावों में कांग्रेस को तीसरे नंबर पर धकेलते हुए सत्ताधारी बीजू जनता दल के गढ़ में सेंध लगाने में सफल रही है।

2012 में 851 पंचायत सीटों में बीजेपी सिर्फ 36 सीटें जीत सकी थी जबकि इस बार पार्टी ने 306 सीटें जीती हैं। वहीं बीजू जनता दल की ताकत 651 से घटकर 460 रह गई। कांग्रेस पिछली बार की 126 सीटों के मुकाबले इस बार सिर्फ 66 सीटें जीत सकी।

बीजद में फूट और कमजोर पड़ती कांग्रेस

पंचायत चुनावों में शानदार प्रदर्शन के अलावा बीजेपी के मिशन ओडिशा को कई दो अहम कारणों से मजबूती मिली है। पहला और सबसे अहम कारण सत्ताधारी बीजू जनता दल (बीजेडी) की आंतरिक गुटबाजी है जबकि दूसरा बड़ा कारण कांग्रेस का चुनाव दर चुनाव कमजोर होते जाना है।

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राष्ट्रीय चुनाव से लेकर राज्यों तक के चुनाव में कांग्रेस लगातार कमजोर होती जा रही है। ऐसे में ओडिशा में बीजेपी को कोई बड़ी चुनौती नजर नहीं आती है।

बंगाल उपचुनाव के परिणाम से मिली ताकत

पूर्वी भारत के राज्यों में बीजेपी पारंपरिक रूप से कमजोर रही है। हालांकि पिछले उप चुनाव में कांठी दक्षिण सीट पर हुए उप चुनाव के नतीजे पार्टी के लिए अच्झी खबर रही है।

कांठी सीट पर हुए उप चुनाव में तृणमूल कांग्रेस बीजेपी को हराने में सफल रही लेकिन पार्टी को इस सीट पर करीब 31 फीसदी मत मिला, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उसे महज 8 फीसदी वोट मिले थे।

कांठी सीट पर बीजेपी वामपंथी दल माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) को पीछे छोड़ दूसरे नंबर पर आने में सफल रही। बंगाल की राजनीति में अपनी जगह बनाने की जद्दोजहद कर रही बीजेपी के लिए यह बेहद बड़ी उपलब्धि रही।

बीजेपी फिलहाल देश के 14 राज्यों में अपने बूते सरकार चला रही है जबकि तीन और राज्यों में उसकी गठबंधन की सरकार है।

ऐसे में भुवनेश्वर में शनिवार से शुरू हो रही पार्टी की राष्ट्रीय कार्चकारिणी की बैठक बीजेपी के मिशन 2019 के लिहाज से अहम है, जिसमें पूर्वी भारत के राज्यों के चुनाव प्राथमिकता में होंगे।

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