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आदिवासी वोट बैंक पर भाजपा की नजर

आदिवासी वोट बैंक पर भाजपा की नजर

Updated on: 05 Dec 2021, 11:15 AM

भोपाल 5 दिसंबर:

मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने आदिवासी वोट बैंक पर कब्जा जमाने की मुहिम तेज कर दी है। यही कारण है कि आदिवासियों के नायकों की याद में कार्यक्रम के आयोजन का सिलसिला जारी है।

किसान आंदोलन के कारण भाजपा को नुकसान की आशंका बनी हुई है। इसकी भरपाई वह आदिवासी वोट बैंक के जरिए करना चाहती है। यही कारण अपना सारा ध्यान आदिवासियों पर केंद्रित कर दिया है।

भाजपा इस बात को जान गई है कि अगर यह वोट बैंक उसके पास रहता है तो सत्ता की चाबी उससे कोई छीन नहीं सकता। इसकी वजह ये है कि वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा की ज्यादातर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा और सत्ता से बाहर हो गई थी। वर्ष 2013 में कॉग्रेस के मुकाबले दोगुनी सीटों पर जीत दर्ज की और पार्टी सत्ता में बनी रही थी। इन स्थितियों से वाकिफ भाजपा ने नई रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।

राज्य की सियासत में बीते 6 माह की गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि भाजपा ने जनजातीय वर्ग के बीच गहरी पैठ बनाने के लिए अभियान छेड़ रखा है। सितंबर माह में जबलपुर में गौड राजा शंकर शाह ,रघुनाथ शाह की याद में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया था जिसमें केंद्रीय मंत्री अमित शाह शामिल हुए थे। यह गोंड जनजाति का बाहुल्य इलाका है । उसके बाद गोंड रानी कमलापति रानी की याद में भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण किया गया।

इतना ही नहीं बिरसा मुंडा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रुप में मनाए जाने का ऐलान किया गया। इस अवसर पर भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया था। इसके बाद भाजपा ने इंदौर में टंट्या भील के बलिदान दिवस पर भी कार्यक्रम का आयोजन किया।

महाकौशल और विंध्य इलाके में गोंड आदिवासियों की संख्या ज्यादा है, तो वही मालवा निमाड़ इलाके में आदिवासी वर्ग के भील और भिलाला ज्यादा है। भाजपा इन वर्गों जिसमें भाजपा अपनी पकड़ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती।

राज्य में आदिवासी लगभग 23 फीसदी वोटर है। इतना ही नहीं 47 सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित है। अब तक वोट बैंक कांग्रेस का माना जाता रहा है और अब भाजपा ने सारा जोर इस पर सेंधमारी में लगा दी है।

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