मध्य प्रदेश में भाजपा ने सत्ता और संगठन पर तीसरी नजर रखने का मन बना लिया है। अब हर जिम्मेदार व्यक्ति की कार्यशैली पर न केवल नजर रखी जाने वाली है, बल्कि उनके कामकाज की समीक्षा भी होगी। यह संकेत बीते दिनों में राष्टीय संगठन के पदाधिकारियों के दौरों और बैठकों के चले दौर से साबित भी होने लगी है। लगातार सभी को हिदायत दी जा रही है कि जमीन पर जाकर काम करें।
राज्य में भाजपा की सत्ता में हुई वापसी के बाद डेढ़ साल से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है, इस दौरान राज्य में 32 विधानसभा क्षेत्रों और एक लेाकसभा क्षेत्र में उप-चुनाव हुए है। इन उप-चुनााव में भाजपा केा बड़ी सफलता मिली, मगर कई ऐसे क्षेत्रों में पराजय मिली जिन्हें भाजपा अपना गढ़ मानती रही है। साथ ही जीत के लिए भाजपा को अच्छा खासा पसीना भी बहाना पड़ा है। लगभग देा साल बाद फिर विधानसभा के चुनाव होना है। इन चुनाव में भाजपा किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। लिहाजा हर तरह से तैयारी तेज कर दी गई है।
राज्य के बीते एक पखवाड़े की पार्टी की गतिविधियों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि पार्टी का राष्टीय नेतृत्व किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है। पार्टी के प्रदेष प्रभारी मुरलीधर राव और राष्टीय सह संगठन महामंत्री मंत्री शिवकुमार का दौरा हुआ। इस दौरान विधायकों, मंत्रियों और पदाधिकारियों से एक-एक कर बात हुई। इस दौरान पार्टी प्रमुखों के सामने जो विधायकों और मंत्रियों ने शिकायतों की पोटरी ही खोल कर रख दी। सभी के निशाने पर नौकरशाही रही। कई मामलों में तो सरकार को ही कठघरे में खड़ा किया गया।
पहले पार्टी के प्रदेश प्रभारी और राष्टीय सह संगठन महामंत्री ने बैठकें कर फीडबैक लिया तो अब राज्य के दौरे पर राष्टीय संगठन महामंत्री बी एल संतोष है। वे भी तमाम लोगों के साथ बैठकें कर रहे है, साथ ही निगम-मंडलों के पदाधिकारियों से लेकर संगठन के लेागों को टिप्स दे रहे है। साथ ही आगाह कर रहे है कि अब चुनाव के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा है। सभी केा जमीन पर जाकर काम करने की हिदायतें लगातार दी जा रही है।
सूत्रों का कहना है कि संगठन ने सत्ता से जुड़े लोगों, मंत्रियों और अन्य पदों पर तैनात लोगों के अलावा संगठन से जुड़े लेागों की कार्यशैली पर नजर रखना शुरु कर दिया है। अभी उन्हें हिदायतें दी गई है और आने वाले समय में हर किसी के काम की समीक्षा की जाएगी और उसके बाद पार्टी कई बड़े फैसले भी ले सकती है।
भाजपा से जुड़े लोगों का कहना है कि पार्टी के लिए हमेशा से ही राज्य एक प्रयोगशाला के तौर पर रहा हैं। यही कारण रहा है कि यहां लगातार नए-नए प्रयोग किए जाते रहे है, यहां संगठन की क्षमता और कार्यशैली अन्य राज्यों के लिए नजीर रही है। अब राज्य में पार्टी सत्ता और संगठन में पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा कसावट लाकर नई रणनीति पर काम करने का मन बना रही है।
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Source : IANS