चुनाव आयोग द्वारा बुधवार को कर्नाटक विधान सभा चुनाव की घोषणा के साथ ही दक्षिण भारत के इस राज्य में राजनीतिक माहौल और ज्यादा गरमाने लगा है। कर्नाटक का यह चुनाव राज्य की सत्ताधारी पार्टी भाजपा और राज्य में वापसी की उम्मीद रखने वाली कांग्रेस, दोनों के लिए एक अहम चुनाव बन चुका है क्योंकि इसका असर 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव में भी पड़ना तय माना जा रहा है।
इसलिए एक खास रणनीति के तहत विधान सभा चुनाव की घोषणा होने से कई दिन पहले, 25 मार्च को ही कांग्रेस ने अपने 124 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी थी। राज्य के विधान सभा चुनाव को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में लगे जेडीएस ने तो 93 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची दिसंबर 2022 में ही जारी कर दी थी।
राज्य में विधान सभा की सभी 224 सीटों पर 10 मई को मतदान होना है लेकिन चुनाव आयोग द्वारा मतदान की तारीख की घोषणा से पहले ही कांग्रेस ने आधे से ज्यादा सीटों पर और जेडीएस ने 41 प्रतिशत से ज्यादा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए हैं।
लेकिन कर्नाटक में उम्मीदवारों की घोषणा करने में अपने विरोधी कांग्रेस और जेडीएस से पहले ही पिछड़ चुकी भाजपा फिलहाल इसे लेकर कोई जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, इस बार पूर्ण बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाने के लक्ष्य के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाली भाजपा उम्मीदवारों के चयन और घोषणा से पहले हर पहलू को जांच और परख कर लेना चाहती है।
पार्टी के एक नेता ने बताया कि, राज्य में उम्मीदवार चयन की प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर अप्रैल में ही शुरू होगी। अप्रैल के पहले सप्ताह में प्रदेश इकाई उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर, नामों को अंतिम रूप देकर केंद्रीय आलाकमान को भेजेगा और अप्रैल के दूसरे सप्ताह में उम्मीदवारों के नामों पर अंतिम मुहर लगाने के लिए दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हो सकती है।
बताया जा रहा है कि, उम्मीदवारों के चयन में पार्टी राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों का तो ध्यान रखेगी ही , इसके साथ ही कांग्रेस और जेडीएस की लिस्ट अथवा संभावित उम्मीदवारों को ध्यान में रखते हुए राज्य के छोटे-छोटे प्रभावी जातीय समूहों को भी साधने की कोशिश करेगी।
पार्टी की कोशिश एक तरफ जहां अपने सबसे पुराने समर्थक लिंगायत समुदाय को अपने साथ बनाए रखने की है तो वहीं इसके साथ ही भाजपा वोक्कालिंगा समुदाय को भी साधने की कोशिश कर रही है। पार्टी ओबीसी समुदाय के साथ-साथ राज्य में प्रभावी उपस्थिति रखने वाले अन्य जातीय समूहों का भी समर्थन हासिल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है और उम्मीदवारों का चयन करते समय इन सभी फॉर्मूले का ध्यान रखा जाएगा।
आपको बता दें कि, चुनाव आयोग द्वारा बुधवार को की गई घोषणा के मुताबिक कर्नाटक में राज्य की सभी 224 विधान सभा सीटों पर एक ही चरण में 10 मई को मतदान होगा और नतीजों की घोषणा 13 मई को की जाएगी। इस चुनाव के लिए 13 अप्रैल को चुनाव का नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। उम्मीदवारों के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 20 अप्रैल होगी और उम्मीदवार 24 अप्रैल तक अपना नामांकन वापस ले सकेंगे।
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Source : IANS