विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए घोषित संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा से पहले अपने उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का नामांकन करवाने के साथ ही भाजपा ने एक बार फिर से आदिवासी महिला उम्मीदवार के नाम पर सर्वसम्मति बनाने के लिए विरोधी दलों पर मनोवैज्ञानिक दबाव डालना शुरू कर दिया है । इसे लेकर एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के साथ-साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने भी मोर्चा संभाल लिया है।
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही भाजपा ने देश के शीर्ष संवैधानिक पद के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार की बात करते हुए अपने दो दिगगज नेताओं जेपी नड्डा और राजनाथ सिंह को सभी दलों के नेताओं के साथ बातचीत की जिममेदारी सौंपी थी, लेकिन विपक्षी दल ने इसकी संभावनाओं पर विराम लगाते हुए अपनी तरफ से संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर ?शवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी। इसके बाद भाजपा ने एनडीए उम्मीदवार के तौर पर द्रौपदी मुर्मू के नाम का ऐलान करने के साथ ही यह भी दावा किया भाजपा पहली बार इस देश को एक आदिवासी वह भी महिला राष्ट्रपति देने जा रही है।
नामांकन में बाजी मारते हुए भाजपा ने अपने उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का नामांकन विपक्षी उम्मीदवार से काफी पहले शुक्रवार को ही करा दिया और इसी के साथ भाजपा ने एक बार फिर से आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाने पर राजनीति नहीं करने की अपील करते हुए सभी दलों से समर्थन देने के लिए उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने कांग्रेस की अंतरिम राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी के अलावा अन्य कई विपक्षी दलों के नेताओं से बात कर कर राष्ट्रपति चुनाव में अपने लिए उनकी पार्टी का समर्थन मांगा।
वहीं दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे एवं लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला और जेडी-एस नेता एचडी देवेगौड़ा को फोन कर उनसे द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का अनुरोध करते हुए कहा कि इस तरह के मुद्दों पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसी के साथ मोदी सरकार के कई मंत्री, भाजपा के दिग्गज नेता और भाजपा के कई मुख्यमंत्री भी आदिवासी महिला के राष्ट्रपति बनने का विरोध नहीं करने की अपील करते हुए विरोधी दलों से द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की अपील करने लगे।
हालांकि, कांग्रेस, एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस पहले ही अन्य विरोधी दलों के साथ मिलकर राष्ट्रपति चुनाव के लिए विरोधी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा के नाम का ऐलान कर चुके हैं और सिन्हा 27 जून को नामांकन करने की तैयारी भी कर रहे हैं। ऐसे में भाजपा अपनी इस मुहिम के जरिए विरोधी दलो की दुविधा को और ज्यादा बढ़ाना चाहती है। इन अपीलों के बावजूद अगर यशवंत सिन्हा ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया और विरोधी दलों ने उनका समर्थन किया तो भाजपा के लिए यह कहना आसान होगा कि विरोधी दल एक आदिवासी महिला को राष्ट्रपति के रूप में देखना नहीं चाहते हैं।
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Source : IANS