बिहार के बोचहां विधानसभा उपचुनाव और विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा अब अपने सामाजिक समीकरण को दुरूस्त करने में जुटी है। इन चुनाव परिणाम से स्पष्ट माना जाता है कि भाजपा से सवर्ण मतदाताओं को वोट खिसका है। ऐसे में भाजपा अपने सामाजिक समीकरण को दुरूस्त करने में जुटी है।
बिहार की राजनीति में सामाजिक समीकरण काफी अहम रहते हैं। बिहार में जाति आधारित राजनीति कोई नई बात नहीं है। कहा जाता है कि यहां सामाजिक समीकरण के जरिए जातियों को साधने के बाद ही सत्ता की कुंजी हाथ लगती है।
इन चुनावी नतीजों से बहुत हद तक साफ हो गया है कि भाजपा का समर्थन करने वाले भूमिहार और सवर्ण वर्ग उससे खिसका है। पासवान समुदाय ने भी चिराग पासवान के भाजपा से दूर होने के कारण उससे दूरी बनाई है।
ऐसे में भाजपा आजादी महोत्सव के दौरान वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव को मनाकर सवर्ण मतदाताओं को साधने में जुटी है। इस कार्यक्रम की सफलता के बाद भाजपा अब आभार यात्रा पर निकलने वाली है, जिसमें इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले लोगों का आभार जताते हुए उनको सम्मान दिया जाएगा।
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गृहमंत्री अमित शाह और उनकी मौजूदगी में राष्ट्रीय ध्वज फहराने का नया रिकॉर्ड बना। इसके बाद अमित शाह ने कहा कि इतिहास में बाबू कुंवर सिंह के साथ अन्याय किया गया। उनकी वीरता और योग्यता के अनुरूप इतिहासकारों ने इतिहास में उनको स्थान नहीं दिया।
अमित शाह ने भोजपुर में वीर कुंवर सिंह के नाम पर स्मारक बनाने की भी घोषणा भी की।
कहा जा रहा है कि भाजपा अपनी विस्तार योजना के तहत ऐसे इलाके के महानायकों का यशोगान करने में जुटी है जिससे खास वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित किया जा सके।
माना जा रहा है कि बाबू कुंवर सिंह के जरिए भाजपा में बिहार के राजपूत समाज में अपनी पैठ गहरी करना चाहती है। साथ ही कुंवर सिंह की समाज के विभिन्न वर्गों के पैठ को भी भाजपा भुनाना चाह रही है। माना जाता है कि यही कारण है कि भाजपा अपने आभार यात्रा के जरिए उन लोगों से भी सीधे तौर पर संपर्क साधेगी।
माना जाता है कि बिहार में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद तथा कई बार सरकार में शामिल होने के बाद भी भाजपा अब तक बिहार में अपना मुख्यमंत्री नहीं दे सके हैं। ऐसे में भाजपा की कोशिश है कि अगले चुनाव में राज्य में ऐसी स्थिति पैदा की जाए कि अकेले दम पर सरकार बनाई जा सके। पिछले दिनों भाजपा ने भव्य तरीके से सम्राट अशोक की भी जयंती मनाई थी।
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Source : IANS